सागर।मध्य प्रदेश केबुंदेलखंड संभाग में काफी ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर हैं. मराठा काल में कई ऐतिहासिक और भव्य मंदिरों का निर्माण बुदेलखंड में कराया गया. सागर के लक्ष्मीपुरा इलाके में ऐसा ही एक महालक्ष्मी का ऐतिहासिक मंदिर स्थापित है. हालांकि यह मंदिर निजी संपत्ति है, लेकिन दीपावली के अवसर पर शहरवासियों को दर्शन के लिए इसे खोला जाता है. मराठा काल में सागर में आकर बसे सूबेदार परिवार के लोग मंदिर की पूजा-अर्चना और व्यवस्थाएं देखते हैं. यह सूबेदार परिवार का मंदिर है. इस मंदिर में दशहरा और दीपावली के दिन विशेष पूजन होता है.
300 साल पुराना है मराठा काल में बना मंदिर
मंदिर की ऐतिहासिकता और प्राचीनता की बात करें, तो इतिहासकार डॉ भरत शुक्ला बताते हैं कि महाराजा छत्रसाल को चरखारी (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में बाजीराव पेशवा ने मुगलों से युद्ध में मदद की थी. जिसमें उन्होंने बुंदेलखंड का यह इलाका मराठों के लिए उपहार के स्वरूप में दिया था. जब मराठा सागर जिले के आसपास बस गए, तो उन्होंने सागर जिले में कई मंदिर और भवनों का निर्माण किया. इसी कड़ी में सागर के लक्ष्मीपुरा इलाके में महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण किया गया था. यह मंदिर रियासत काल में निजी संपत्ति था और जब अंग्रेजों का भारत पर राज हुआ, तो यह मंदिर जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गया.
बाद में पुरुषोत्तम राव सूबेदार ने इस मंदिर का नए सिरे से जीर्णोद्धार कराया था. फिलहाल सूबेदार परिवार के वंशज इसी मंदिर परिसर में रहते हैं. मंदिर सूबेदार परिवार की निजी संपत्ति होने के कारण आमतौर पर दर्शनों के लिए नहीं खोला जाता है. लेकिन दशहरा और दीपावली के अवसर पर यह आम जनता के लिए खोला जाता है.