सागर। वैसे तो लोग पान शौक के लिए खाते हैं वहीं कुछ लोग इसे बुरी आदत भी मानते हैं. लेकिन क्या आप जानतें हैं पान और उसका डंठल कितना गुणकारी है? हालाकि, पान और पान के डंठल की विशेषता कम लोगों को ही पता है. जी हां आयुर्वेद भले ही कम चलन में हो, हृदयरोग जैसी बीमारियों में लोग एलौपैथी को ही कारगर मानते हो लेकिन आयुर्वेद रत्न की डिग्री हासिल करने वाले सेवानिवृत्त एक शिक्षक ने आयुर्वेद के कई ग्रंथों का अध्ययन कर आयुर्वेद की एक ऐसी दवा तैयार की है, जो हार्टब्लॉकेज ही नहीं शरीर के दूसरे ब्लॉकेज को खत्म करने में कारगर है.
नहीं करानी पडेगी ओपन हार्ट सर्जरी
महज डंठल वाले दो पान, चार लहसुन की कली और उंगली के एक पोर बराबर अदरक के पेस्ट को शहद मिलाकर चखने मात्र से हार्टब्लॉकेज खत्म हो जाते हैं. हार्ट की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को यह दवा लेने से एंजियोप्लास्टी और ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है.
वैद्य दादाजी से सीखे आयुर्वेद के गुण
सागर के सेवानिवृत्त शिक्षक वैद्यनाथ सोनी रिटायर होकर भजन पूजा में अपना व्यक्ति व्यतीत कर रहे हैं, लेकिन उनकी एक नई पहचान हार्ट की दवाई देने वाले दादा के रूप में हो रही है. दरअसल, शिक्षक वैद्यनाथ सोनी का रूझान बचपन से ही आयुर्वेद की तरफ था, क्योंकि उनके दादा महावीर प्रसाद सोनी बहुत बड़े वैद्य थे. वैद्यनाथ सोनी ने बचपन से ही अपने दादा को दवाइयां बनाते हुए देखा है और उनकी दवाई बनाने में मदद भी की है. वैद्यनाथ सोनी वह बड़े होकर डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन डॉक्टर नहीं बन पाए. फिलहाल वह पेशे से शिक्षक हैं, और वैद्य दादाजी भी.
शिक्षक की नौकरी के साथ ली आयुर्वेद की डिग्री
सेवानिवृत्त के शिक्षक वैद्यनाथ सोनी बताते हैं कि पूर्वजों से मिले आयुर्वेद के ज्ञान के चलते वह आयुर्वेद के ग्रंथों का अध्ययन करते रहते थे. 1984 में उनकी पदस्थापना छिंदवाड़ा जिले में थी. अपनी रुचि के चलते उन्होंने नौकरी के साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आयुर्वेद रत्न की डिग्री ली और डिग्री के अलावा आयुर्वेद के ग्रंथों का अध्ययन भी करते रहे. वैद्यनाथ सोनी का कहना है कि, संसार में चिकित्सा की कितनी विधियां हैं, वह बताती हैं कि बीमार पड़ने पर हम कैसे ठीक हो सकते हैं, लेकिन आयुर्वेद हमें बताता है कि हमें अपनी जीवन शैली कैसी रखना चाहिए कि हम बीमार ही ना पड़े. हम क्या खाएं, कैसे खाएं और कब खाएं, ताकि लंबी उम्र पा सकें.
खुद हुए ह्रदय रोगी तो अपनाया आयुर्वेद का नुस्खा
2007 में वैद्यनाथ सोनी को पैदल चलने और सीढ़ियां चढ़ने में परेशानी हुई, जब उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने टीएमटी कराने की सलाह दी. टीएमटी की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद जब उन्होंने हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाया, तो हृदय रोग विशेषज्ञ ने एंजियोप्लास्टी करने की सलाह दी और 15 दिन बाद आने के लिए कहा. वैद्यनाथ सोनी बताते हैं कि, ईश्वरीय प्रेरणा और 15 दिन का वक्त मिल जाने के बाद आयुर्वेद के ग्रंथों से मिले ज्ञान के आधार पर मैंने पान वाली दवाई बनाई और नियम अनुसार 15 दिन सेवन किया. जब 15 दिन बाद में डॉक्टर के पास पहुंचा, तो उन्होंने मेरी एंजियोग्राफी की. एंजियोग्राफी कर डॉक्टर भी आश्चर्य में पड़ गए कि, हार्ट ब्लॉकेज लगभग खत्म हो गए थे.