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अपराध की तरफ बढ़ रहा है बुंदेलखंड का बचपन, पुलिस-प्रशासन की कोशिशें नहीं लगा पा रही बढ़ते आंकड़ों पर लगाम

टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग के चलते बाल और किशोरावस्था के बच्चे अपराध की दुनिया की तरफ से बढ़ रहे हैं. बुंदेलखंड इलाके में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. पिछले दो-तीन सालों में 18 साल से कम उम्र के बच्चों द्वारा किए जाने वाले अपराध के आंकड़े बढ़ गए हैं. वहीं कुछ बच्चे नशे के आदी हो चुके हैं और अपने शौक को पूरा करने के लिए चोरी जैसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. (Child crime increased in Bundelkhand)

Child crime increased in Bundelkhand
बुंदेलखंड में बाल अपराध बढ़े

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Published : Apr 1, 2022, 6:45 PM IST

सागर। सामान्य जनजीवन में तकनीक के तेजी से बढ़ते उपयोग के कारण काफी बदलाव आया है. इसका असर लोगों पर देखने मिल रहा है और खासकर बाल और किशोरावस्था के बच्चे तकनीक के बढ़ते दखल मोबाइल और इंटरनेट के कारण अपराध की दुनिया की तरफ से बढ़ रहे हैं. इसके अलावा कई पारिवारिक और सामाजिक कारण भी मासूम बचपन को अपराध की तरफ धकेल रहे हैं. बुंदेलखंड इलाके में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. बुंदेलखंड मैं पिछले दो-तीन सालों में 18 साल से कम उम्र के बच्चों द्वारा किए जाने वाले अपराध के आंकड़े में इजाफा हुआ है.

अपराध की तरफ बचपन के झुकाव के कारण:तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और सामान्य जनजीवन में बढ़ते तकनीक के उपयोग नें बाल और किशोरावस्था के मन और मस्तिष्क पर गहरे प्रभाव डाले हैं. खासकर कोरोना काल में स्कूलों के बंद होने और पढ़ाई के लिए ऑनलाइन क्लासेस के चलन के कारण अभिभावकों को ना चाह कर भी बच्चों को मोबाइल और इंटरनेट के उपयोग की आजादी देनी पड़ी और इसका असर यह हुआ कि बच्चे इंटरनेट पर अपलोड हिंसक वीडियो, अश्लील सामग्री और हिंसक मोबाइल गेम्स की गिरफ्त में आ गए. इस शौक को पूरा करने के लिए बच्चों ने घर पर चोरी करना तक शुरू कर दिया और उनकी प्रवृत्ति भी हिंसक हो गई.

पारिवारिक और सामाजिक कारण अपराध की तरफ धकेल रहे:इसके अलावा कई पारिवारिक और सामाजिक कारण भी बच्चों को अपराध की तरफ धकेल रहे हैं. जिनमें अभिभावकों के कामकाजी होने के कारण बच्चों के घर पर अकेले रहने, माता पिता की आपसी कलह के अलावा माता-पिता द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने के कारण उपेक्षित महसूस करके अपराध की तरफ बढ़ रहे हैं. पारिवारिक परिस्थितियों के अलावा स्कूलों के आसपास नशे की सामग्री के अलावा महंगे शौक भी बच्चों को अपराध की दुनिया में धकेल रहे हैं. टेलीविजन और मोबाइल पर आने वाले कार्यक्रमों ने भी बच्चों को महंगे शौक और नशे की तरफ धकेला है. इन शौकों के आदि होने के बाद बच्चे चोरी,मारपीट,अपहरण और यहां तक की हत्या जैसी वारदातों को भी अंजाम दे रहे हैं.

बुंदेलखंड में बाल अपराध के आंकड़े
वर्ष - सागर - दमोह - छतरपुर - टीकमगढ़ - पन्ना - निवाड़ी

2016 -- 368 --- 00 ---- 73 ------- 74 ------- 44 -- 00
2017 -- 186 --- 03 ---- 70 ------ 33 ------- 03 -- 00
2018 -- 144 --- 125 -- 115 ---- 38 -------30 -- 00
2019 -- 114 --- 17 ---- 118 ---- 22 ------ 10 ----07

चोरी, नशे और मारपीट के ज्यादातर मामले:इन आंकड़ों का अध्ययन करने पर पता चलता है कि बाल और किशोरावस्था के जो बच्चे अपराध की तरफ मुड़ रहे हैं. वह बच्चे नशे के आदी हो चुके हैं और अपने शौक को पूरा करने के लिए चोरी जैसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. इसके अलावा मोबाइल और टेलीविजन और मोबाइल पर हिंसक गतिविधियों से प्रभावित होकर बच्चे मारपीट की घटनाओं में लिप्त हैं. कई बच्चे अश्लील सामग्रियों से प्रभावित होकर छेड़खानी, अपहरण और बलात्कार जैसी वारदातों को भी अंजाम दे रहे हैं.

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क्या कहना है मनोवैज्ञानिकों का: मनोवैज्ञानिक अनुपम बोहरे कहते हैं कि तेजी से बदल रही जीवन शैली और खासकर महंगे शौक बच्चों को अपराध की तरफ धकेलने का प्रमुख कारण बनते हैं. इसके अलावा परिवार में माता पिता के बीच होने वाले झगड़े और अलगाव के अलावा अगर माता-पिता कामकाजी होते हैं और बच्चों को कम वक्त दे पाते हैं, तो उपेक्षा के कारण भी बच्चे इन प्रवृत्तियों की तरफ जा रहे हैं. पिछले कुछ सालों में मोबाइल का चलन तेजी से बढ़ा है. ऐसी स्थिति में अगर अभिभावक ध्यान नहीं देते हैं,तो बच्चे हिंसक और अश्लील सामग्री मोबाइल पर देखते हैं और उसका असर उनके रहन-सहन और क्रियाकलापों पर पड़ता है.

बाल अपराध को रोकने के लिए पुलिस क्या करती है: एएसपी विक्रम सिंह कहते हैं कि बाल अपराध को रोकने के लिए जिला स्तर पर पुलिस विशेष किशोर इकाई की स्थापना की जाती है जो कि 18 साल से कम उम्र के किशोर और बच्चों के साथ होने वाले अपराध और वह अपराध की जिंदगी में कदम ना रख पाए उनको रोकने के प्रयास करें. इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ मिलकर पुलिस विभाग काम करता है. खासकर अनाथ बच्चों को को आश्रय, आर्थिक मदद और पढ़ाई की व्यवस्था का इंतजाम भी महिला विकास विभाग की मदद से पुलिस विभाग कराता है. इसके अलावा भिक्षावृत्ति के पेशे में लाए गए बच्चों को भी मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाता है. पुलिस विभाग के साथ मिलकर बच्चों के साथ होने वाले अपराध को रोकने और बच्चों को अपराध से दूर रहने के लिए कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम भी चलाते हैं.

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