सागर।कभी पिछड़ेपन और रूढ़िवादी परंपराओं के लिए पहचाने जाने वाले बुंदेलखंड की तस्वीर अब बदल रही है. इस तस्वीर को बदलने का बीड़ा उठाया है, मर्यादाओं के नाम पर घूंघट की ओट में रहने वाली महिलाओं नें, जो अब आत्मनिर्भर बन रही हैं. खेती, किसानी जैसे पुरुषों के वर्चस्व वाले कामों से दूर रहने वाली महिलाएं अब इस क्षेत्र में भी इतिहास रच रही हैं. इसी का उदाहरण है सागर जिले के गेहूं खरीदी केंद्र. जहां इन दिनों गेहूं खरीदी का काम महिला स्व सहायता समूह के जरिए हो रहा है, जहां 40 डिग्री तापमान, कोरोना का डर और चिलचिलाती धूप भी इन महिलाओं के बढ़ते कदमों को नहीं रोक सकी.ये महिलाएं गेहूं खरीदी केंद्र में कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए गेंहू खरीद के काम को अंजाम दे रही हैं. इन्होंने अपनी पहली ही कोशिश में रिकॉर्ड बना डाला है.
सागर: बुंदेलखंड की महिलाओं ने दिखाया दम पहले ही प्रयास में रचा इतिहास
सामाजिक परंपराओं और मर्यादाओं पर इन महिलाओं का समर्पण भारी पड़ा है.यही वजह है कि चिलचिलाती धूप में भी ये अपने काम में जुटी हुई हैं. इन महिलाओं ने अपनी मेहनत से संकट के समय में इतिहास रच दिया है. महिलाओं के इस वैष्णों स्व सहायता समूह ने सागर जिले में गेहूं की रिकॉर्ड खरीदारी कर मध्यप्रदेश मे सागर जिले को पहला स्थान दिलाया है. महिला स्व सहायता समूह से जुटी मधु अहिरवार बड़ी मात्रा में महिला केंद्रों पर गेहूं की खरीद होने से काफी खुश हैं.मधु कहती हैं.
स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने महिला स्व सहायता समूह को जो काम सौंपा है उससे हम महिलाएं काफी खुश हैं. हमारी कोशिशों से ही अभी तक 12 हजार किव्ंटल गेहूं की खरीद हो चुकी है. इस काम में जुटी सभी महिलाएं इससे खुश हैं.
मधु अहिरवार
स्वसहायता समूह के जरिए काम में जुटी वंदना पांडे भी गेहूं खरीद का रिकॉर्ड बनने से काफी उत्साहित हैं
हम लोग कोरोना गाइड लाइन का पूरा पालन करते है. गेहूं की तुलाई कराना हो या इससे जुड़े लोगों का ख्याल रखना उन्हें पानी पिलाना, सैनेटाइज करना, मास्क लगाने की हिदायत देना इस काम के लिए भी तीन महिलाओं को ड्यूटी दी गई है. हम मिलकर कई तुलाई केंद्रों से गेहूं की तुलाई भी करा कर लाते हैं.
वंदना पांडे
56 गेहूं खरीद केंद्रों का जिम्मा
जिले में 206 गेहूं उपार्जन केन्द्रों में 56 उपार्जन केन्द्रों के संचालन का जिम्मा आजीविका मिशन द्वारा गठित महिला स्वयं सहायता समूहों को पहली बार सौंपा गया है. इन महिलाओं ने अपने पहले ही प्रयास में गेहूं संग्रहण में प्रदेश में रिकार्ड कायम किया है. गेहूं उपार्जन केन्द्रों में महिलायें तुलाई, गेहूं संग्रहण, भण्डारण और परिवहन का काम भी पूरी जिम्मेदारी से निभा रही हैं.यहां मूल्यांकन और निगरानी के लिए भी महिला कम्प्यूटर ऑपरेटर की तैनाती भी की गई है. जो कम्प्यूटर पर रोजना ऑनलाइन डाटा फीडिंग करती और जानकारी अपडेट करती है. रीना कहती है-
पहली बार जिले में महिलाओं को गेहूं की खरीद का जिम्मा सौंपा है. हमने लोगों से जानकारी लेकर काम शुरू किया.अब काफी अच्छा लग रहा है.नई जिम्मेदारी निभाते हुए हमारा काम बहुत अच्छा चल रहा है. अभी तक काफी बड़ी मात्रा में गेहूं की खरीद हो चुकी है.
रीना, कम्प्यूटर ऑपरेटर
- जिले में हुई 6.63 लाख किंव्टल गेहूं की खरीदी
सागर जिले में 4 मई तक महिला स्व सहायता समूह द्वारा 56 केन्द्रों पर 9523 किसानों से 6.63 लाख क्विंटल गेहूं का संग्रहण कर प्रदेश में सर्वाधिक गेहूं संग्रहण का रिकार्ड कायम किया है. - जबलपुर में 6.05 लाख क्विंटल दूसरे, दमोह 5.10 तीसरे, 1.44 लाख क्विंटल गेहूं संग्रहण के साथ देवास चौथे नंबर पर रहा है.
- सागर जिले में ग्राम पामाखेड़ी के साक्षी स्व. सहायता समूह ने सबसे ज्यादा 29120, जैतपुर के गौरी स्व. सहायता समूह ने 19999, धनगुंवा के श्रीगणेश स्व. सहायता समूह ने 19112 और खड़ौआ के शक्ति समूह ने 17659 क्विंटल गेहूं की किसानों से खरीदी की है.