सागर।देश और प्रदेश में बुंदेलखंड की पहचान यूं तो एक पिछड़े इलाके के रूप में होती है, लेकिन सियासत के लिए ये इलाका काफी उपजाऊ साबित हो रहा है. पिछले 2 सालों में बुंदेलखंड में हुईं घटनाएं जातीय ध्रुवीकरण के प्रयोग के लिए फायदेमंद साबित हो रही हैं. खास बात ये है कि अंचल में हुईं अपराधिक घटनाओं के जरिए जाति या वर्ग विशेष को निशाना बनाया जा रहा है और ध्रुवीकरण किया जा रहा है. सियासतदानों के लिए भले ही पिछले दिनों में हुईं कुछ घटनाएं ध्रुवीकरण का मजबूत आधार बनी हों, लेकिन यह जाति और वर्ग के बीच बढ़ती खाई इलाके की समरसता के लिए घातक हो सकती है.
ब्राह्मणों पर निशाना, पिछड़ों को मिलना :बुंदेलखंड में पिछले 2 सालों में घटी दो घटनाओं से साफ है कि इन अपराधिक घटनाओं में कैसे राजनेताओं ने सियासी फायदा तलाश कर मामले को जातीय संघर्ष में बदल दिया और ए अलग ही रंग दे दिया. इन दोनों प्रकरणों की खास बात ये है कि इसमें ब्राह्मण निशाने पर थे और पिछड़ी जातियों को एकजुट करने की कोशिश की गई थी. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बुंदेलखंड की राजनीति की पृष्ठभूमि में हमेशा जाति और वर्ग रहा है, लेकिन पिछले 2 साल से जिस तरह से अपराधिक घटनाओं को लेकर ध्रुवीकरण के प्रयास किए जा रहे हैं, वह बुंदेलखंड के भाईचारे के लिए भविष्य में मुसीबत खड़ी कर सकता है.
ध्रुवीकरण के जरिए बिछाई जा रही सियासी बिसात: अपने विवादित बयान के चलतेभाजपा से निष्कासित नेता प्रीतम लोधी बंडा के एक मामले को सियासी हवा दे रहे हैं. वे जिस तरह वे पूरे मप्र में बुंदेलखंड के बंडा की बेटी के नाम पर ओबीसी,अनुसूचित जाति और जनजाति को इकट्ठा करने की कवायद कर रहे हैं. इसके पीछे माना जा रहा है कि प्रीतम लोधी भविष्य की राजनीति की बिसात बिछा रहे हैं. मप्र में 2023 में चुनाव होना है. मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में सत्ताधारी दल 2018 के चुनाव से सबक लेकर ओबीसी वर्ग को सर माथे पर बिठाना चाहता है. लेकिन प्रीतम लोधी के निष्कासन के बाद ये मामला भाजपा की गले की फांस बनता जा रहा है.
प्रीतम लोधी किसका मोहरा हैं:लोधी समुदाय से आने वाले दो बड़े नेता उमा भारती और प्रहलाद पटेल लोधी प्रकरण पर चुप्पी साधे हैं. माना जाता है कि प्रीतम लोधी उमा भारती के खास समर्थक हैं और उमा भारती राजनीति में अपनी उपेक्षा के चलते पर्दे के पीछे से इस मामले को हवा दे रही हैं, हालांकि ये अटकल बाजी हो सकती है, लेकिन पूरे घटनाक्रम में उमा भारती और प्रहलाद पटेल की चुप्पी भी कई सवाल खड़े करती है. हालांकि इस ध्रुवीकरण और सियासी सरगर्मी पर सीएम शिवराज पूरी तरह नजर रखे हुए हैं. उन्होंने अपने विश्वस्त भूपेंद्र सिंह को यहां की स्थिति जानने और समझने की जिम्मेदारी दी है.
1 साल पहले सेमरा लहरिया कांड में भी बनी थी ऐसी स्थिति: एक साल पहले सागर जिले की नरयावली में हुए सेमरा लहरिया कांड में ऐसी ही स्थिति बनी थी. तब पृथ्वीपुर चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ने सेमरा लहरिया कांड को जातीय और वर्गीय ध्रुवीकरण के लिए प्रयोग किया था. इस तरह से देखा जाए तो यह चाहे इस बार बंडा हो या पिछली बार का सेमरा लहरिया कांड दोनों ही अपराधिक घटनाएं हैं, लेकिन इन घटनाओं के बाद हुई और हो रही सियासत को देखकर आप समझ सकते हैं कि बुंदेलखंड में इन घटनाओं के जरिए कैसे वर्गों को बांटने की बिसात बिछाकर सियासी जमीन तलाशी जा रही है.
ब्राह्मणों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन:बंडा की बेटी को न्याय दिलाने के नाम पर प्रीतम लोधी इन दिनों प्रदेश भर में ब्राह्मणों के खिलाफ जगह-जगह शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति को एकजुट करने के लिए 4 सितंबर को सागर में उन्होंने शक्ति प्रदर्शन कर अपनी ताकत दिखाईका एहसास कराया. बंडा में लोधी समुदाय की नाबालिग लड़की को ब्राह्मण समुदाय के एक बुजुर्ग पर अगवा कर दुष्कर्म करने का आरोप लगा था. घटना को लेकर काफी बवाल हुआ था. इसी संदर्भ में भाजपा नेता प्रीतम लोधी ने ब्राह्मणों और कथावाचकों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. जिसके विरोध में पूरे प्रदेश में ब्राह्मण समाज सड़कों पर उतर आया. पार्टी ने इस विरोध को देखते हुए प्रीतम लोधी को भाजपा से निष्कासित कर दिया. निष्कासन के बाद और उग्र हुए प्रीतम लोधी ने अब ब्राह्मणों के खिलाफ मोर्चा खोल कर दलितो, पिछड़ों और अनुसूचित जाति को एकजुट करने में जुटे हैं.
पहले भी हुआ था ध्रुवीकरण का ऐसा ही प्रयोग:आजजिस तरह बंडा की नाबालिग बेटी को न्याय दिलाने के नाम पर सियासत की जा रही है, ठीक एक साल पहले भी ऐसा ही मामला जिले के नरयावली थाने के सेमरा लहरिया गांव में सामने आया था. इस घटना को लेकर भी जमकर सियासत हुई और यादव - ब्राह्मण आमने-सामने आ गए थे. उस समय पृथ्वीपुर में उपचुनाव था और पृथ्वीपुर की सीट पर यादवों का बाहुल्य देखते हुए घटना को जमकर उछाला गया. तब भाजपा को इसमें फायदा नजर आ रहा था. लेकिन इससे अंचल का माहौल खराब हो गया था कि ब्राह्मण भड़क गए थे और सागर के खेल परिसर में ब्राह्मणों ने विशाल शक्ति प्रदर्शन किया था. जिसमें मप्र के साथ उप्र के भी ब्राह्मण बड़ी संख्या में शामिल हुए थे.
क्या था सेमरा लहरिया हत्याकांड: 2021 में 16-17 सितंबर को जिले के नरयावली थाना के सेमरा लहरिया गांव में राहुल यादव नाम का युवक स्थानीय शर्मा परिवार के परिसर में जली हुई अवस्था में पाया गया था. युवक ने मरने से पहले दिए गए अपने बयान में कहा कि उसकी शादी शुदा प्रेमिका ने उसे मिलने घर बुलाया था, लेकिन जैसे ही वह घर पहुंचा तो प्रेमिका के परिजनों ने उसके हाथ पैर बांधकर पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया. इस मामले में प्रेमिका भी करीब 70 फीसदी झुलसी थी. युवक की प्रेमिका ने अपने बयान में कहा था कि उसका प्रेमी , उसकी शादी हो जाने के बाद भी उसे परेशान करता था और जब उसने मिलने के लिए मना किया तो वह घटना की रात मेरे घर पर पेट्रोल लेकर आया और मुझे आग लगाने की कोशिश की, जिसमें दोनों लोग झुलस गए थे. इस मामले में मृतक प्रेमी के बयान के आधार पर प्रेमिका के चार परिजनों को गिरफ्तार कर लिया गया था. मृतक के परिजनों की मांग पर प्रशासन ने मकान गिराने की कार्रवाई की थी. इसी बात को लेकर ब्राह्मण समाज ने प्रशासन और शासन पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाते हुए 30 सितंबर को सागर में विशाल आंदोलन किया था.
ऐसी स्थिति सामाजिक समरसता में बाधक: राजनीतिक विश्लेषक डॉ अशोक पन्या कहते हैं कि आप देखेंगे कि ये सब राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए होता है. घटना एक ही होती है, उसका प्रभाव कहीं और होता है और उसके लिए वर्ग विशेष को इकट्ठा किया जाता है. फिलहाल ब्राह्मण निशाने पर हैं, क्योंकि उसके विरोध में भी कुछ ऐसा माहौल पैदा किया गया है. कोई भी घटना होती है, तो वर्ग विशेष के लिए उसको दोषी माना जा रहा है. जबकि हर जगह, हर वर्ग में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं और घटना करने वाला किसी जाति वर्ग का नहीं होता है. वह अपराधी मानसिकता का होता है, उसके साथ वैसा ही बर्ताव करना चाहिए जैसा एक अपराधी के साथ होता है. पन्या चिंता जताते हुए यह भी कहते हैं कि सियासत के लिए दो वर्गों के बीच पैदा किए जाने वाले इस मतभेद से सामाजिक समरसता समाप्त होती है.जो कहीं ना कहीं हमारे सामाजिक एकीकरण में बाधक है.