सागर। शिवराज सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री और बुंदेलखंड के कद्दावर नेता भूपेंद्र सिंह ने एक बार फिर अपने चुनावी प्रबंधन का कमाल दिखाया है. सागर नगर निगम के महापौर चुनाव में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सागर में भाजपा विधायक की बहू को टिकट देकर जातीय समीकरणों के आधार पर भाजपा को घेरने की कोशिश की थी, लेकिन चुनाव प्रबंधन में माहिर कहे जाने वाले नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने चुनौती का शानदार रणनीति के साथ सामना किया और सागर से चुनावी समीकरणों के तमाम मिथकों को तोड़ते हुए सागर नगर निगम का महापौर पद भाजपा की झोली में डाला. सागर नगर निगम के 48 वार्डों में भी भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया है. एक तरह से साफ हो गया है कि परिषद गठन में भी भाजपा को परेशानी नहीं होगी.
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जातीय समीकरणों में उलझे चुनाव में निकाला जीत का रास्ता: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सागर से महापौर पद के प्रत्याशी की घोषणा सबसे पहले कर दी थी. कमलनाथ ने सागर के भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन के छोटे भाई सुनील जैन की पत्नी को प्रत्याशी बनाया था. जैन समुदाय से आने वाली निधि जैन काफी मजबूत प्रत्याशी के तौर पर देखी जा रही थी और जैन समुदाय के प्रत्याशी चुनाव जीतते भी आए हैं. भाजपा ने पिछले 6 विधानसभा चुनाव में जैन समुदाय के व्यक्ति को ही टिकट दिया है और हर बार जैन समुदाय के व्यक्ति ने जीत हासिल की है. दूसरी तरफ सागर में ब्राह्मणों का बाहुल्य है, भाजपा पर दबाव था कि भाजपा इस बार ब्राह्मण को टिकट दे. इस कठिन चुनौती में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह को अपने गृह जिले में भाजपा की साख बचाने की चुनौती सौंपी गई. भूपेंद्र सिंह ने कठिन चुनौती का डटकर सामना किया और अपने खास समर्थक ब्राह्मण समुदाय के सुशील तिवारी को टिकट दिया और पूरा फोकस अनुसूचित जाति के वोट बैंक पर करते हुए चुनाव का पासा पलट दिया. भूपेंद्र सिंह को पता था कि, जैन समुदाय की वोट हासिल करना भाजपा के लिए कठिन होगा और अगर कांग्रेस की परंपरागत अनुसूचित जाति की वोट भाजपा को मिलती हैं, तो भाजपा की जीत सुनिश्चित होगी.
कारगर रही भूपेंद्र सिंह की रणनीति: चुनाव जीतने के लिए भूपेंद्र सिंह ने पूरा फोकस अनुसूचित जाति की वोट पर किया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जब सागर आए, तो उन्होंने ना सिर्फ अनुसूचित जाति समाज के मुखियाओं का सम्मेलन आयोजित किया, बल्कि उन्होंने दलित के घर भोजन करके दलित मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इसका परिणाम ये हुआ कि, ब्राह्मण और जैन समुदाय के बाहुल्य वाली सीट का पांसा अनुसूचित जाति के वोटों के सहारे भाजपा ने पलट दिया और एक बार फिर कांग्रेस को महापौर चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. भाजपा प्रत्याशी संगीता सुशील तिवारी ने कांग्रेस प्रत्याशी को करीब 12000 मतों से हराया है.