सागर। मध्यप्रदेश के दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने (Madhya Pradesh tour JP Nadda) भाजपा में परिवारवाद को लेकर दो टूक बयान देकर बुंदेलखंड के दिग्गज भाजपा नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें ला दी हैं. इन दोनों नेताओं को पार्टी ने एक तरह से बीजेपी ने मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया है. दूसरी तरफ नड्डा द्वारा नेता पुत्रों को लेकर पार्टी की रणनीति का खुलासा करने से नेता पुत्रों की चुनावी तैयारियों पर सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं. ( Nadda statement on familism) जी हां हम बात कर रहे हैं शिवराज सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव और पूर्व मंत्री जयंत मलैया की जिनके बेटे अगले विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, लेकिन परिवारवाद को लेकर भाजपा अध्यक्ष के बयान के बाद ये नेता पशोपेश में हैं.
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गोपाल भार्गव बेटे अभिषेक भार्गव कर रहे हैं विधानसभा चुनाव की तैयारी:आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बुंदेलखंड के दिग्गज ब्राह्मण नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव 1985 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने अपने बेटे अभिषेक भार्गव को एक तरह से उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है. मौजूदा सरकार में गोपाल भार्गव भले पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं, लेकिन उनके विधानसभा क्षेत्र रेहली में उनके बेटे विधायक के तौर पर काम कर रहे हैं. पिछले दिनों गोपाल भार्गव के गृह नगर गढ़ाकोटा में हुए रहस महोत्सव और मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के सामूहिक विवाह सम्मेलन में अभिषेक भार्गव ही मुख्य भूमिका में नजर आए. एक तरह से तय माना जा रहा है कि गोपाल भार्गव अब चुनावी राजनीति से दूर होकर अपने बेटे को आगे बढ़ाना चाहते हैं. 2013 से लगातार वह बेटे को लोकसभा चुनाव में टिकट के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. पार्टी की परिवारवाद को लेकर मौजूदा रणनीति के चलते उनके बेटे के भविष्य पर सवालिया निशान लगता नजर आ रहा है. उम्र में 70 के आंकड़े के करीब पहुंच चुके गोपाल भार्गव को पार्टी भी धीरे-धीरे मार्गदर्शक मंडल में बैठाने की तैयारी कर रही है. हाल ही में बनाई गई पार्टी की प्रदेश कोर कमेटी से उनको विदा कर दिया गया है.
जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया भी विधानसभा टिकट की दौड़ में :भाजपा के दिग्गज जैन नेता जयंत मलैया 2018 में विधानसभा चुनाव हार कर वैसे भी सक्रिय राजनीति से दूर हो चुके हैं. अब अपने बेटे सिद्धार्थ मलैया को अपना चुनावी उत्तराधिकार सौंपना चाहते हैं. लेकिन पार्टी की रणनीति से उनके मंसूबों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. 2018 में जयंत मलैया कांग्रेस के युवा प्रत्याशी राहुल लोधी से चुनाव हार गए थे, लेकिन बाद में राहुल लोधी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. उन्हें दमोह उपचुनाव में टिकट भी दिया गया, लेकिन जयंत मलैया की नाराजगी के चलते भाजपा को सीट गंवानी पड़ी. जयंत मलैया का भारी विरोध भी हुआ और पार्टी ने फौरी तौर पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की, लेकिन जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया दमोह विधानसभा क्षेत्र में जनसंवाद यात्रा निकाल रहे हैं और यात्रा के जरिए आगामी विधानसभा चुनाव की जमीन तैयार कर रहे हैं. परिवारवाद को लेकर पार्टी की रणनीति के चलते जयंत मलैया के बेटे को भी आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट मिलना टेढ़ी खीर नजर आ रहा है.
JP Nadda on Familialism : परिवारवाद पर समझौता नहीं, चाहे पार्टी को नुकसान ही क्यों न हो