रीवा। विंध्य क्षेत्र तीर्थयात्रियों के लिए आस्था और पूजा-पाठ का केन्द्र माना जाता है, रीवा में स्थित देवतालाब शिव मंदिर का निर्माण खुद भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में किया था. जिसके चलते इसका काफी महत्व है और यहां सावन भर बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर भगवान शंकर के पास हाजिरी लगाते हैं.
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर देवतालाब का शिव मंदिर आज भी लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है. बताया जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में किया था, सुबह जब लोगों ने देखा तो यहां पर एक विशाल मंदिर बना हुआ था, लेकिन इसका निर्माण कैसे हुआ किसी ने नहीं देखा. पूर्वजों के बताए अनुसार मंदिर के साथ ही यहां पर अलौकिक शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी. ये शिवलिंग रहस्यमयी है, जिसकी खासियत है कि इसका रंग दिन में चार बार बदलता है.बुजुर्ग बताते हैं कि शिव मंदिर में पांच बार जल लेकर पांचों मंदिर में चढ़ाया जाता है, लेकिन वर्तमान के हालात इतने बद से बदतर हो गए हैं कि इन तालाबों में मंदिर का गंदा पानी भी मिलने लगा है, लेकिन आस्था के चलते लोग तालाब के गंदे पानी को ही शिवलिंग पर चढ़ाते हैं.देवतालाब शिव मंदिर का इतिहासइस मंदिर की खास बात ये है कि ये मंदिर एक ही पत्थर से बना है. भगवान शिव के परम भक्त महर्षि देव तालाब पर आराधना में लीन थे. महर्षि को दर्शन देने के लिए शिवजी ने विश्वकर्मा भगवान को देवतालाब पर मंदिर बनाने के लिए आदेशित दिया था. उसके बाद रातों-रात यहां विशाल मंदिर का निर्माण हुआ और शिवलिंग की स्थापना हुई.मंदिर की विशेषता देवतालाब के शिव मंदिर के आसपास कई तालाब हैं. इतने सारे तालाबों का होना यहां की विशेषता भी है. शिव मंदिर प्रांगण में जो तालाब हैं, वो शिव कुंड के नाम से प्रसिद्ध हैं. शिव कुंड से जल लेकर सदा शिव भोलेनाथ के पंच शिवलिंग विग्रह पर चढ़ाने की परंपरा रही है. माना जाता है कि अगर आप ने चारों धाम के दर्शन कर लिए हैं तो देवतालाब के इस मंदिर में जल चढ़ाए बिना आपको उन चारों धाम का पुण्य नहीं मिलता. शिव के इस मंदिर में जल चढ़ाने के बाद ही चारों धाम की यात्रा पूरी होती है.मंदिर के नीचे शिव का एक दूसरा मंदिर मान्यता ये भी है कि मंदिर के नीचे शिव का एक दूसरा मंदिर भी है और इसमें चमत्कारी मणि मौजूद है. वर्षों पहले मंदिर के तहखाने से लगातार सांप बिच्छू के निकलने की वजह से मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया गया था. इस शिवलिंग के अलावा रीवा रियासत के महाराज ने यहीं पर चार अन्य मंदिरों का निर्माण कराया था.