रीवा।शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर गुढ़ के खामाडीह में स्थापित भगवान काल भैरव की प्रतिमा अपने आप में अद्भुत है. इतिहासकारों की माने तो इस प्रतिमा का निर्माण 10वीं और 11वीं शताब्दी के मध्य कराया गया था. मोहनिया पहाड़ की गोद में स्थापित काल भैरव के दर्शन के लिए सालभर श्रद्धालु आते है. लंबे समय तक प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार रहने की वजह से इस क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया, अब स्थानीय विधायक के प्रयासों से जल्द ही इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा. जिसकी लागत करीब दो करोड़ रुपए होगी. मंदिर की नक्काशी जयपुर के मार्बल से की जाएगी.
काल भैरव मंदिर का जीर्णोद्धार रीवा के गुढ़ से दक्षिण पूर्व में 10वीं शताब्दी में भगवान भैरव नाथ की 8.50 मीटर लंबी और 3.70 मीटर चौड़ी विशालकाय प्रतिमा बनवाई गई थी. कालभैरव की इतनी बड़ी प्रतिमा पूरे देश में और कहीं नहीं है. भैरव नाथ की प्रतिमा जमीन पर लेटी है. प्रतिमा के निर्माण में जिस पत्थर का उपयोग किया गया है, वह रीवा जिले के आसपास के पहाड़ों में नहीं मिलता.
लगभग हजारों साल पुरानी इस प्रतिमा का ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व है. कालभैरव की दाई ओर हाथ में रुद्राक्ष की माला है, तो दाएं तरफ एक हाथ में सर्प और दूसरे में हाथ में कलश है. गले में रुद्राक्ष की माला और सर्प लिपटे हुए हैं. कमर में सिंह मुख का अंकन है. प्रतिमा के दोनों ओर एक खड़े हुए, एक बैठे हुए पूजक का अंकन है. इस तरह की विशालकाय और कलाकृतियों से सजी कालभैरव की प्रतिमा देश की चिह्नित प्रतिमाओं में से एक है. बताया जाता है की, वर्षो पहले प्रतिमा को खड़ा करने का प्रयास भी किया गया था, लेकिन प्रयास असफल रहा.
मंदिर के साथ ही पार्क और पाथ-वे का निर्माण भी किया जायेगा. कुछ दिनों पहले रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा, पूर्व मंत्री रहे राजेंद्र शुक्ला सहित स्थानीय विधायक नागेंद्र सिंह की उपस्थिति में भूमि पूजन भी किया गया था. जिसके बाद मंदिर परिसर में निर्माण कार्य की शुरुआत भी कर दी गई. 2 वर्षों के बाद मंदिर का स्वरूप ही बदल जाएगा और यह मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र बन जाएगा.