रतलाम। लोकसभा चुनाव 2019 के अंतिम चरण का मतदान 19 मई को होना है. मध्यप्रदेश की बाकी बची 8 सीटों पर 19 मई को मतदान किया जाएगा, जिसमें रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट भी शामिल है. चुनाव को लेकर रतलाम संसदीय क्षेत्र की महिलाओं ने अपनी राय बताई. इनमें समाजसेवी, नौकरीपेशा, गृहिणी और छात्राओं ने भाग लिया. महिलाओं के मुद्दे और जनप्रतिनिधियों से जो उम्मीदें उन्हें हैं, इस पर महिलाओं ने अपने विचार ईटीवी भारत से साझा किये हैं.
रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र में 1 हजार पुरुषों के मुकाबले 970 महिला मतदाताएं हैं. वहीं 18 लाख मतदाताओं में 8 लाख 96 हजार मतदाता महिलाएं है. रतलाम लोकसभा सीट पर महिलाएं निर्णायक स्थिति में हैं, लेकिन यदि जनप्रतिनिधियों द्वारा महिलाओं के लिये किये गये कार्यों की बात करें, तो इस क्षेत्र में अब भी महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा कार्य नहीं हुए हैं.
आदिवासी बहुल इस लोकसभा क्षेत्र में आदिवासी क्षेत्र में खासकर महिलाएं अशिक्षित हैं. रतलाम की समाजसेवी सुनीता मांडोत का कहना है कि महिलाओं के लिये स्वास्थ्य और सुरक्षा के क्षेत्र में अच्छे काम हुए, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए शौचालय नहीं बनाये गये हैं. बैंकर गायत्री आर्या का कहना है कि महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सुरक्षा के मामले में केवल शहरी क्षेत्रों में कार्य हुए हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं है. जनप्रतिनिधियों को ग्रामीण महिलाओं के लिये शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना चाहिए.
वहीं वर्किंग वुमन मोनिका पांडे का कहना है कि शहरों में महिलाएं अब सुरक्षित नहीं हैं और जनप्रतिनिधियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है. छात्रा मनीषा शर्मा का मानना है कि महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में अच्छे काम हुए हैं और आने वाली सरकार से भी वे यही उम्मीद करती हैं. कुल मिलाकर रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र की महिलाओं को आने वाले जनप्रतिनिधि और सरकार से उम्मीद है कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिये विशेष कार्य किये जाने चाहिये.