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बूंद-बूंद के लिए संघर्ष: चट्टानों से गिरने वाली एक-एक बूंद को एकत्रित कर दूर से पानी ढोने को मजबूर है महिलाएं और बच्चे - पानी ढोने को मजबूर है महिलाएं और बच्चे

कटनी से 65 किलोमीटर दूर बहोरीबंद के रीठी के खुसरा गांव में आज भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. बच्चे और महिलाएं चट्टानों से रिसने वाली एक-एक बूंद को एकत्रित कर दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सदियों से एक-एक बूंद एकत्रित कर पानी ढोते हुए पीढ़ियां गुजर गई लेकिन जिम्मेदारों ने कभी सुध नहीं ली.

Centuries passed in waiting for water in Khusra village of Katni
कटनी के खुसरा गांव में पानी के इंतजार में बीत गई सदियां

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Published : May 18, 2022, 10:59 PM IST

कटनी। कटनी का एक ऐसा गांव है, जहाँ आज भी लोग खाई की चट्टानों से रिसने वाली एक-एक बूंद को एकत्रित कर दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं. इस गांव में पानी की समस्या से लोग हलकान है, हालात ये हैं कि इस गांव में लोग अपनी बेटी को ब्याहने से भी परहेज करते हैं. रीठी तहसील क्षेत्र के बीच जंगल स्थित खुसरा गाँव में आज भी नल-जल योजना शुरू नहीं हुई. सदियों से यहां के ग्रामीणों की एक-एक बूंद एकत्रित कर पानी ढोते हुए पीढ़ियां गुजर गई हैं.

पानी के इंतजार में बीत गई सदियां: कटनी से महज 65 किलोमीटर दूर बहोरीबंद के रीठी का खुसरा गांव है. यहां सदियों से ग्रामीण पानी की समस्या से लोग जूझ रहे हैं. खुसरा ग्राम में महादेव मंदिर के नीचे एक खाई है और इस खाई की चट्टानों से रिसने वाली एक-एक बूंद को लोग एकत्रित करते हैं. गांव की महिलाएं व बच्चे दूर चट्टानों से पानी ढोने का काम सदियों से कर रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि आज तक उन्हें मूलभूत सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाया है, सदियों से वे पीने के लिए स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे हैं.

कटनी के बहोरीबंद के रीठी के खुसरा गांव में पानी की समस्या

समस्याओं से नहीं मिली निजात: ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव की समस्या से जिले के आला अधिकारी सहित जनप्रतिनिधि भी अवगत हैं. कई बार पानी की समस्या के लेकर शिकायतें भी की गई हैं. इतना ही नहीं, चुनाव के समय मतदान का भी बहिष्कार किया गया लेकिन आज तक समस्याओं से निजात नहीं मिल पाई है. ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव आते ही जनप्रतिनिधि गांव आते हैं और तरह-तरह के प्रलोभन देकर भोली भाली जनता से मतदान करा लेते हैं. मतदान होने के बाद इस गांव में दोबारा लौट कर नहीं आते.

चट्टानों से गिरने वाली एक एक बूंद एकत्रित करते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द पानी की समस्या से निजात नहीं मिली, तो आने वाले पंचायत व विधानसभा चुनाव में जिले के आला अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को ग्रामीणों के गुस्से से दो-चार होना पड़ेगा.

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