जबलपुर। शहर से 30 किलोमीटर दूर ईटीवी भारत ने इतिहास के एक ऐसे पन्ने को खोलने की कोशिश की, जिसकी जानकारी शायद ही किसी को हो. यहां के नकटिया गांव में पुराने पत्थरों का एक पहाड़ मिला है. जो अपने आप में अनोखा है. ईटीवी भारत आपको जबलपुर की इसी रहस्यमयी जगह से रूबरू करा रहा है. जबलपुर के पास जानकारी मिली थी कि पहाड़ों में अभी भी कुछ ऐसे गांव हैं, जहां पीने के लिए पानी नहीं है.
जाहिर सी बात है कि पानी की कमी पहाड़ों पर ज्यादा होती है तो हमने पहाड़ों का रुख किया. हमें इस बात का अंदाजा था कि सबसे ज्यादा ऊंचाई पर जो गांव होंगे, वहां पानी की भारी किल्लत होगी. लिहाजा हम जबलपुर की चरगंवा रोड से पहाड़ों की तरफ लगभग 30 किलोमीटर अंदर पहुंचे, लेकिन जब हम नकटिया गांव पहुंचे तो आदिवासियों के इस गांव में लोगों ने हमें कुछ और ही जानकारी दी.
लोगों ने बताया कि गांव से लगभग एक किलोमीटर दूर पहाड़ पर एक ऐसी विरासत पड़ी है, जिसे स्थानीय लोगों के अलावा किसी ने नहीं देखा. पूछताछ में लोगों ने बताया यहां कुछ बहुत पुराने पत्थर हैं. काफी दूर चलने के बाद अचानक से एक पत्थर नजर आया जो सामान्य प्राकृतिक पत्थरों से अलग था.
एक जैसे है सारे पत्थर
यहां इतनी ऊंचाई पर भी एक समतल मैदान हैं. जिसके चारों तरफ पेड़ लगे हुए हैं, लेकिन पेड़ के नीचे का नाजारा आश्चर्यजनक है. यहां षटकोण आकार में कटे हुए पत्थरों का पूरा पहाड़ बना हुआ है. कुछ जगहों पर तो पत्थर इस तरह रखे हैं जैसे किसी ने इन्हे जमाया हो. जिसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. बड़ा सवाल यह है कि पूरा पहाड़ जिसकी ऊंचाई लगभग 50 से 60 फीट है इस पर हजारों पत्थर बिखरे पड़े हैं. लंबाई में यह छोटे बड़े हैं, लेकिन इनकी बाकी बनावट एक सी है, जो अपने आप में अनोखा है.