जबलपुर। मध्यप्रदेश में जैन मंदिरों का इतिहास सदियों पुराना है. बहुत से ऐसे मंदिर हैं, जो कि देश-दुनिया में प्रसिद्ध है. मगर संस्कारधानी के पिसनहारी मढ़िया की कहानी सबसे रोचक है. कहा जाता है कि, यहाँ स्थित मंदिर 600 साल से भी ज्यादा पुराना है. यहां जैनियों का तीर्थ स्थल है, जिसकी कहानी जितनी रोचक है, उतनी भक्त और भक्ति करने वालों के लिए प्रेरणादायी भी है. जैन तीर्थंकरों को मानने वालों के अलावा जन सामान्य के लिए यह पूज्य स्थल है. यहां मौजूद जिनालयों की प्रतिमाएं बहुत ही आकर्षित करने वाली हैं.
नि:संतान महिला ने आटा पीसकर बनवाई मढ़िया
वर्णी गुरुकुल के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी जिनेश कुमार शास्त्री बताते है कि, जहां आज पिसनहारी की मढ़िया है, वहाँ कभी एक गुफा हुआ करती थी. जिसमें सिद्ध बाबा निवास करते थे. एक दिन नि:संतान महिला जो कि घरों में चक्की से आटा पीसने का काम करती थी, वही बाबा जी से आशीर्वाद लेने पहुंची थी. उसने सिद्ध बाबा से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा, तब उन्होंने कहा यहां एक मढ़िया का निर्माण कराओ भगवान तुम्हारी मनोकामना जरूरी पूरी करेंगे. उस महिला ने भक्ति पर विश्वास जताते हुए करीब 30 से 35 वर्षों तक आटा पीसकर जो कमाई की, पूरा पैसा जैन मंदिर या मढ़िया बनवाने में लगा दी. जब मढ़िया तैयार हो गई, तो उसके मन में वैराग्य जाग गया. तब उसने चक्की भी मंदिर में दान कर दी और दीक्षा लेकर स्वयं साध्वी बन गई. उसकी चक्की आज भी मुख्य द्वार पर भक्त की भक्ति को प्रदर्शित करने के लिए रखी हुई है.