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लोकतंत्र में चुनाव मुद्दों के आधार पर लड़े जाने चाहिए, व्यक्तियों पर नहीं -शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती

लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही जहां कांग्रेस-बीजेपी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं, वहीं शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि भारत में लोकतंत्र है और लोकतंत्र में चुनाव कभी भी व्यक्तियों के आधार पर नहीं लड़े जाने चाहिए.

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती

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Published : Mar 25, 2019, 8:28 PM IST

जबलपुर। लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही जहां कांग्रेस-बीजेपी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं, वहीं शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि भारत में लोकतंत्र है और लोकतंत्र में चुनाव कभी भी व्यक्तियों के आधार पर नहीं लड़े जाने चाहिए बल्कि मुद्दों के आधार पर लड़े जाने चाहिए.

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि जिस तरीके का माहौल चल रहा है उसमें चुनाव व्यक्ति आधारित हो गए हैं. व्यक्ति महत्वपूर्ण हो गया है और मुद्दे गौण हो गए हैं. जगत गुरु शंकराचार्य ने "चौकीदार" शब्द का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत जैसे बड़े देश लोकसभा जैसे महत्वपूर्ण चुनाव में इसे मुद्दा बनाना ठीक नहीं जान पड़ता स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि यह किसी गांव की लड़ाई जैसा लगता है.

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती


दिग्विजय सिंह बात के धनी
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि दिग्विजय सिंह बात के धनी हैं उन्होंने कहा था कि 10 साल तक किसी को नहीं लूंगा तो उन्होंने किसी पद को नहीं लिया और अब चुनाव लड़ रहे हैं तो उन्हें भी मुद्दों के आधार पर ही चुनाव लड़ना चाहिए.


बीते 5 साल में बीजेपी सरकार नहीं कर पाई अपने वादे पूरे
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने यह भी याद दिलाया कि 5 साल पहले जब लोकसभा के चुनाव हुए थे तब बीजेपी के नेताओं ने कहा था कि भारत गौ मांस का बड़ा निर्यातक है और इस बात से उन्हें बड़ी तकलीफ होती है. स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि क्या अब भारत गौ मांस का निर्यात नहीं करता ? क्या धारा 370 समाप्त हो गई ? वादा किया गया था कि देश में कॉमन सिविल कोड लाया जाएगा. पार्टी मुद्दे बदलकर चुनाव लड़ रही है यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है राम मंदिर तो हम ही बनाएंगे.


शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि पुलवामा हमले के बाद देश में ऐसे हालात नहीं थे कि वह राम मंदिर में शिला पूजन के लिए जाते लेकिन अब उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले में कोई फैसला आएगा और राम मंदिर के बनाने का रास्ता साफ होगा. स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है मध्यस्थता करने वाले लोगों के साथ उनकी एक बैठक हो चुकी है और 28 तारीख को एक बार फिर वह मध्यस्थता करने वाले दल के सामने अपनी बात रखेंगे.

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