जबलपुर। 26 जनवरी 1950 को लागू हुए देश के संविधान की चर्चा जब-जब होगी तब-तब जबलपुर के राममनोहर सिन्हा का नाम पूरी शिद्दत से लिया जाएगा. क्योंकि संविधान के मुख्य पृष्ठ पर स्वर्णिम रंग भरकर उसे सजाने और संवारने का काम राममनोहर सिन्हा ने किया था.
जबलपुर में बना था संविधान की पुस्तक का आवरण पृष्ठ कलाकृतियां बनाने में माहिर राममनोहर सिन्हा को ये काम कैसे मिला इसकी कहानी भी रोचक है. दुनिया के सबसे बड़े संविधान को बनाने के लिए कुछ ऐसा किया जाना था कि उसकी झलक सबसे अलग हो.
स्वतंत्रता के ठीक बाद कला के क्षेत्र में सबसे अच्छा काम शांतिनिकेतन में चल रहा था. इसलिए शांतिनिकेतन के पुमख नंदलाल बोस को संविधान को चित्रित करने का काम दिया गया. नंदलाल बोस ने संविधान के प्रमुख पृष्ठ के निर्माण की जिम्मेदारी अपने काबिल शिष्य राम मनोहर सिन्हा को सौंपी.
राम मनोहर सिन्हा के परिवार के सदस्य डॉ अनुपम सिन्हा कहते हैं कि संविधान को चित्रित करने का काम रात दिन चला और राम मनोहर सिन्हा इस भरोसे पर पूरी तरह खरे उतरे और अपने काम को बखूबी अंजाम दिया.26 जनवरी को हर भारतीय नागरिक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की ताकत संविधान पर गर्व महसूस करता है. यही वजह है कि संविधान के निर्माण में राम मनोहर सिन्हा के इस योगदान के लिए 26 जनवरी के दिन उन्हें भी याद किया जाता है.