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दिव्यांग को मुफ्त में लगाए गए कृत्रिम हाथ, बाइक कार चलाने से लेकर मजदूरी तक कर सकते हैं - जबलपुर में दिव्यांग को कृत्रिम हाथ

कृत्रिम ही सही पर हाथों को देखकर दिव्यांगों के चेहरे खिले (Artificial hands provided to disabled people) हुए हैं. किसी का एक हाथ लगाया गया तो किसी के दोनों. जबलपुर में निशुल्क कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन किया गया था. देखिए ETV भारत की यह खास रिपोर्ट.

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जबलपुर में दिव्यांग को कृत्रिम हाथ

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Published : Feb 14, 2022, 3:34 PM IST

जबलपुर।जबलपुर में दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ लगाए जाने के लिए अंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन किया गया. जिसका लाभ मिलते ही दिव्यांगों (Artificial hands provided to disabled people) के चेहरे खुशी से खिल उठे. शिविर में किसी का एक हाथ लगाया गया तो किसी के दोनों हाथ. खास बात यह थी कि अमेरिका में बने ये कृत्रिम हाथ बिल्कुल मुफ्त में लगाये गए. कृत्रिम हाथ लगवाने के लिए जबलपुर के अलावा मध्यप्रदेश और आसपास के प्रदेशों से भी दिव्यांग यहां पहुंचे थे.

दिव्यांग को लगाए गए मुफ्त कृत्रिम हाथ

100 लोगों को लगे कृत्रिम हाथ
सिंधु नेत्रालय जिलहरी घाट में घर की पाठशाला और हरि-कृष्णा फाउंडेशन द्वारा निःशुल्क कृत्रिम हाथ लगाए जाने के लिए का अंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन किया गया. जन आयुक्त मध्यप्रदेश संदीप रजक ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. घर की पाठशाला की संस्थापक पल्लवी गुप्ता ने बताया की सोमवार को पहले चरण में 100 लोगों को कृत्रिम हाथ लगाए गए हैं. जिसके बाद आने वाले दिनों में 150 दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ लगाए जाएंगे. अमेरिका में बने इस कृत्रिम हाथ को लगवाने में 15 हजार रुपए का खर्च आता है, लेकिन संस्था इसे मुफ्त में लगा रही है.

लिखने से लेकर मजदूरी तक कर सकते हैं
शिविर में मौजूद डॉक्टर पल्लवी गुप्ता ने बताया की इन कृत्रिम हाथ की मदद से व्यक्ति बहुत से काम कर सकता है. लिखना, चम्मच पकड़ के खाना, बाइक कार या साईकल चलाना, समान उठाना और यहां तक की मजदूरी भी कर सकता है. हाथ लगाने के लिए किसी भी तरह का ऑपरेशन नहीं करना पड़ता है. ये हाथ घड़ी की तरह हैं इन्हें कभी भी लगाया या खोला जा सकता है.

अपने कामों के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहेंगे दिव्यांग
जबलपुर के मझौली की निवासी भारती साहू बताती है की वह आईटीआई की छात्रा हैं. 15 साल पहले घर में काम करने के दौरान पानी की टंकी फूटने की वजह से उनका हाथ कट गया था. जिसके बाद से भारती अपने आप को असहाय महसूस कर रही थी, लेकिन अब कृत्रिम हाथ लगने के बाद वे अपनी पढ़ाई भी अच्छे से कर सकती हैं और बिना किसी की मदद से खुद के काम भी कर सकती हैं. कटनी के बम्होरी से आए राधेश्याम नामदेव भी कृत्रिम हाथ लगने के बाद बेहद खुश हैं. राधेश्याम रेल पटरी पार करते हुए वह ट्रेन की चपेट में आ गए थे जिससे उन्हें दोनों हाथों को खोना पड़ा था. उमरिया जिले से पहुंचे पंकज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, वह बताते हैं कि 3 साल पहले मशीन में उनके दोनों हाथ कट गए थे, लेकिन अब वह बेहद खुश हैं उन्हें अपने कामों के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.

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आदिवासी एवं ग्रामीण अंचलों में भी लगाए जाएंगे कैंप
निशक्तजन विभाग के आयुक्त संदीप रजक ने बताया कि यह जबलपुर के लिए बेहद खुशी का पल है. संस्था द्वारा 100 से ज्यादा दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ लगाए जा रहे हैं. जिससे वह अपना काम अब खुद कर सकते हैं. जिसके लिए उन्होंने संस्था को बधाई भी दी है. उन्होंने कहा की आने वाले दिनों में आदिवासी एवं ग्रामीण अंचलों में भी इस तरह के कैंप लगाए जाएंगे. साथ ही दिव्यांगों का सरकार की तरफ से UDID कार्ड बनाया जा रहा है. जिसके तहत दिव्यांगजन देश में कहीं भी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे. दिव्यांगों को 600 रुपए पेंशन और फिजिकली दिव्यांग को 12 सौ रुपए पेंशन दी जा रही है. छात्रों को 600 रुपये छात्रवृत्ति और दो हजार रुपये की मदद हर माह दी जा रही है.

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