जबलपुर। मध्यप्रदेश में सरकार के तमाम दावों के बीच प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम नहीं हो रही है. स्वास्थ्य विभाग का गर्भवती महिलाओं की जांच और इलाज का दावा बता रहा है कि, बीते 3 वर्ष में मातृ-शिशु मृत्यु दर में कोई कमी नहीं आई है. जबलपुर संभाग में सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं की मौत का कारण खून की कमी सामने आई है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो संभाग के हर जिले की स्थिति में बहुत खास अंतर नहीं है.
खून की कमी से दम तोड़ रही महिलाएं:जबलपुर संभाग में 2019-20 के मुकाबले मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कुछ कमी आई है, लेकिन 2020-21 और 2021-22 के आंकड़े देखें तो मातृ-शिशु मृत्यु दर का ग्राफ कम नहीं हुआ है. गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से भी आशा कार्यकर्ता चिन्हित करती हैं. इसके बाद आंगनबाड़ी केंद्र बुलाती हैं. जहां गर्भवती महिलाओं की जांच भी करती हैं. आंकड़ों की बात की जाए तो गर्भवती महिलाओं की मृत्यु सबसे ज्यादा खून की कमी से होना सामने आया है.बताया जा रहा है. स्वास्थ्य केंद्र में जो महिलाएं गंभीर हालत में पहुंचती हैं. उनका हीमोग्लोबिन 5% से 6% तक पहुंच जाता है. इसके अलावा सबसे पहले रक्त स्नाव व प्रसव के उपरांत अत्यधिक रक्त बह जाना भी मौत का बड़ा कारण है. हाई ब्लड प्रेशर व शुगर के कारण भी मौत का ग्राफ काफी हद तक बढ़ रहा है.
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शिशु-मृत्यु दर के आंकड़े: जबलपुर संभाग में बीते 3 साल के भीतर शिशु-मृत्यु दर के आंकड़े देखे जाएं तो वर्ष 2019-20 में यह संख्या 306 थी 2020-21 में 281 और 21-22 में 333 पहुंच गई है. स्वास्थ्य विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. संजय मिश्रा बताते हैं कि, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए निरंतर कार्य किए जा रहे हैं, बीते 7 माह से जमीनी स्तर में हाई रिस्क प्रसव चयनित किए जा रहे हैं. इसके अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों में भी एएनएम द्वारा गर्भवती महिलाओं की नियमित रक्त जांच, ब्लड प्रेशर, शुगर की जांच करवाई जा रही है.