जबलपुर। मध्य प्रदेश के चर्चित न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में उच्च न्यायालय में पेश कर दी गई. मालूम हो कि इस भयानक अग्निकांड में आठ व्यक्तियों की मौत हो गई थी. प्रदेश सरकार ने इसमें उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे. इस सीलबंद लिफाफे में सरकारी कमेटी की रिपोर्ट के साथ-साथ पुलिस की भी जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी गई है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने दोनों रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए सुनवाई की अगली तारीख नौ सितम्बर निर्धारित की है.
नियमों की अनदेखी:लॉ स्टूडेंट एसोसियेशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि जबलपुर में नियम विरुद्ध तरीके से प्राइवेट अस्पताल को संचालन की अनुमत्ति प्रदान की गई थी. कोरोना काल के दौरान विगत तीन साल में करीब 65 निजी अस्पलातों को संचालन की अनुमत्ति प्रदान की गयी है. जिन अस्पतालों को अनुमति दी गयी है, उनमें नेशनल बिल्डिंग कोड और अग्नि सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं किया गया. जमीन के उपयोग का उद्देश्य दूसरा होने के बावजूद अस्पताल बनाने के बाद उसके संचालन तक की अनुमति दे दी गयी.
बिना जांच-परख के दी थी नौकरी: बिल्डिंग का कार्य पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र भी नहीं जारी किया गया था. इसके बाद भी इस अस्पताल के निर्माण की संस्तुति क्यों की गई. यह बहुत बड़ा सवाल है कि आखिर इसके पीछे क्या मंशा रही होगी. अगर नियमों की अनदेखी नहीं की गई होती तो शायद यह दर्दनाक हादसा नहीं हुआ होता. साथ ही आठ बेगुनाहों की जान भी न जाती. नियमों को किस तरह ताख पर रखा गया, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अस्पताल बनने के बाद मेडिकल और पैरामेडिकल व अन्य स्टाफ तक को बिना जांचे-परखे नौकरी पर रख लिया गया. ऐसे अनाड़ी स्टाफ और घोर लापरवाही के चलते इस तरह की दुर्घटना का होना स्वाभाविक था.