जबलपुर में कोरोना वायरस की वजह से अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है और मेडिकल कॉलेज में 25 से ज्यादा मौत के ऐसे मामले भी सामने आए, जिन में कोरोना स्पष्ट नहीं था, लेकिन यह मृत्यु भी संदेह के घेरे में थी. ऐसे ही कई शव जिनके परिजन उनके अंतिम संस्कार से भी डर रहे थे, उन शवों का अंतिम संस्कार शहर के युवक आशीष की संस्था मोक्ष कर रही है, लेकिन इसके लिए उन्हें जीएसटी देनी पड़ रही है.
अंतिम संस्कार की लकड़ी पर GST जान का जोखिम डालकर अंतिम संस्कार
कोरोना वायरस के संकट काल में रिश्ते नाते कमजोर पड़ गए हैं, जब किसी को कोरोना वायरस का संक्रमण हो जाता है, तो अचानक से उसके परिजन तक उससे दूरी बना लेते हैं और यदि किसी की मृत्यु हो जाए तो कई मामले ऐसे सामने आए कि लोग मृत परिजन का शव लेने तक अस्पताल नहीं पहुंचे ऐसे हालात में जबलपुर के युवाओं की एक संस्था 'मोक्ष' और इसके प्रमुख आशीष ठाकुर सामने आए और कोरोना वायरस से पीड़ित मृतक का अंतिम संस्कार करने के बेड़ा उठा लिया. आशीष ठाकुर और उनकी संस्था ने अब तक ऐसे लगभग 35 शव का अंतिम संस्कार किया है, जिनमें 12 कोरोना वायरस संक्रमित थे और बाकी संदेही, जिनके परिजन भी अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार नहीं थे.
5 हजार से ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार
आशीष ठाकुर बीते कई साल से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करते चले आ रहे हैं. अब तक पांच से ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार आशीष खुद के खर्चे पर कर चुके हैं लेकिन कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों का अंतिम संस्कार एक खर्चीली प्रक्रिया है. इसमें अंतिम संस्कार करने वाले लोग पूरी तरह से पीपीई किट से ढके हुए होने चाहिए, इसके साथ ही सैनिटाइजेशन का विशेष ध्यान रखना जरूरी है. सामान्य आदमी यह करने को भी तैयार नहीं होता लेकिन आशीष ठाकुर के साथ के युवा इस जोखिम को लेने को तैयार हुए और नगर निगम के अधिकारियों ने आशीष के साथ यह सहमति बनाई कि खर्च नगर निगम देगा और दाह संस्कार मोक्ष करेगी.
अंतिम संस्कार कराते मोक्ष संस्था के सदस्य कफन-दफन पर जीएसटी
इस खर्च में आशीष के साथ काम करने वाले लड़कों के अलावा दाह संस्कार में लगने वाली सामग्री, और लकड़ी का बिल भी जब आशीष ने नगर निगम को दिया तो नगर निगम ने कफन दफन की प्रक्रिया पर भी 20 फीसदी जीएसटी काट लिया.
कोरोनावायरस के संकट काल में जब मोक्ष संस्था के युवा दिलेरी दिखा रहे हैं. तो नगर निगम के अधिकारियों को भी थोड़ा सा दिल खोलना चाहिए था और संकट के समय में जब परिवार के लोग पीछे हट रहे हैं तो इन युवाओं की मदद करनी चाहिए थी.