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आफत में 'नन्हीं जान' : नई बीमारी ने बढ़ाई दहशत, जूझ रहे नवजात बच्चे

जबलपुर में मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम इन न्यूबॉर्न बेबीज नाम की नई बीमारी ने दस्तक दी है. करीब 50 नवजात बच्चे इसकी चपेट में हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि यह बीमारी ज्यादातर उन बच्चों में देखने को मिल रही है, जिनकी मां को गर्भावस्था के आखिरी महीनों में कोरोना वायरस हुआ था.

multi system inflammatory syndrome
जबलपुर में बच्चों में नई बीमारी

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Published : Jun 4, 2021, 6:36 PM IST

जबलपुर। कोरोना वायरस की दूसरी लहर भले ही अब थमती नजर आ रही है, लेकिन इसका असर लंबे समय तक नजर आने वाला है. मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में एक नई बीमारी ने दस्तक दी है, जिसकी चपेट में नवजात बच्चे आ रहे हैं. अब तक करीब 50 बच्चे इस नई बीमारी की चपेट में आ चुके हैं और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है.

दरअसल इस नई बीमारी का नाम मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम इन न्यूबॉर्न बेबीज है. इस बीमारी के करीब 50 केस सामने आ चुके हैं. यह बीमारी ज्यादातर उन बच्चों में देखने को मिल रही है, जिनकी मां को गर्भावस्था के आखिरी महीनों में कोरोना वायरस हुआ था.

जबलपुर में बच्चों में नई बीमारी

50 फीसदी बच्चों की हो गई मौत

डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी से ग्रसित 50 फीसदी बच्चों की मौत हो गई है, लेकिन जब से इसका पता डॉक्टरों को लगा उसके बाद से ही इस पर शोध करना शुरू कर दिया गया. अब डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की मृत्यु दर कम हो रही है.

कैसे हो रहे बच्चे इस बीमारी का शिकार

कोरोना वायरस से संक्रमित गर्भवती महिलाओं के शरीर में जो एंटीबॉडी बनती है, वही एंटीबॉडी बच्चों के लिए परेशानी का कारण बन रही है. इसकी वजह से इन बच्चों में यह सिंड्रोम विकसित हो जाता है. इस सिंड्रोम की वजह से शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

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बच्चों पर बीमारी का क्या पड़ रहा असर

  • इस बीमारी से ग्रसित कुछ बच्चे ऐसे हैं, जिनके हृदय में सामान्य धड़कन नहीं थी और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर लेना पड़ा. कई अविकसित या समय से पहले जन्मे बच्चों को यह समस्या होती है, लेकिन कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं. लेकिन इन बच्चों को ठीक होने में लंबा समय लगा.
  • कुछ बच्चों में पेट में यह समस्या देखी गई और उनकी आंतों में सूजन पाई गई. बच्चों में पेट की एक बेहद गंभीर बीमारी सामने आई.
  • कुछ बच्चे ऐसे हैं जिनके दिमाग में परेशानी थी और वह फिट का शिकार हो गए.
  • कुछ बच्चों के फेफड़ों में परेशानी देखने को मिली. यह बच्चे ठीक ढंग से सांस नहीं ले पा रहे थे.
  • कुछ बच्चों के किडनी पर भी इस सिंड्रोम ने असर डाला है. इसकी वजह से इन बच्चों को पेशाब करने में परेशानी हो रही थी और पेट में सूजन महसूस की जा रही थी.

गर्भवती महिलाओं को सतर्क रहने की सलाह

डॉ रजनीश नेमा का कहना है कि ऐसा कम देखने को मिला है कि गर्भवती मां से बच्चे को कोरोना वायरस हुआ हो, लेकिन इसकी वजह से बच्चे को परेशानी जरूर झेलनी पड़ी है. वही जन्म के तुरंत बाद बच्चों से लोगों को दूर रखना चाहिए क्योंकि इस समय वायरस का संक्रमण किसके पास है इसकी जानकारी किसी को नहीं होती और यह एक परेशानी का सबब बन सकता है. वहीं जिन महिलाओं को कोरोना वायरस का संक्रमण हो चुका है, उन्हें स्त्री रोग विशेषज्ञ के साथ ही शिशु रोग विशेषज्ञ के भी लगातार संपर्क में रहना चाहिए.

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नए सिंड्रोम के बारे में लोगों को जानकारी कम

डॉक्टरों का कहना है कि अभी पीडियाट्रिक डॉक्टर आपस में अपनी जानकारी साझा कर रहे हैं, लेकिन इसके परिणाम क्या होंगे इस पर अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. देश भर में ऐसे बच्चों की जानकारी मिल रही है, जो अलग-अलग अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं, लेकिन इस महामारी के दौर में डॉक्टर आपस में अपना ज्ञान साझा कर रहे हैं, जिससे बच्चों को मदद मिल पा रही है.

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