जबलपुर: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में मध्य प्रदेश से न गुजरने वाले नेशनल हाईवे के संबंध में पूछे गये प्रश्न का जवाब दिये जाने के बावजूद भी अंक न दिये जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. जस्टिस सुजय पॉल की अवकाशकालीन एकलपीठ के समक्ष गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान आवेदक की ओर से कहा गया कि यदि दो उत्तर सही हैं तो नियमानुसार दोनों में अंक दिये जाने चाहिये, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिससे वह कट ऑफ मार्क्स से दो अंकों से चूक गये. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एमपी पीएससी को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.
दो अंकों से पीछे रह गया आवेदक
उत्तर देने के बाद भी अंक नहीं देने से जुड़े मामले को लेकर ये याचिका शासकीय कर्मी रीवा मऊगंज निवासी विक्रम सिंह की ओर से हाईकोर्ट में दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2020 में हुई लोक सेवा आयोग परीक्षा के लिए उन्होंने आवेदन किया था. आवेदक का कहना है कि उस परीक्षा के प्रश्न क्रमांक-57 में पूछा गया था कि मध्य प्रदेश से कौन सा नेशनल हाईवे नहीं गुजरता है, जिस पर पीएससी की ओर से डी आंसर जिस पर उल्लेखित था कि नेशनल हाईवे-8 मप्र से नहीं गुजरता, वहीं याचिकाकर्ता ने अपने आंसर में नेशनल हाईवे 3 व 8 दोनों के न गुजरने को सही अंकित किया था. इसके बावजूद भी उसे उक्त प्रश्न के अंक नहीं दिये गये और वह दो अंकों से आगे की परीक्षा के लिये वंचित हो गये.
तीन सप्ताह में मांगा जवाब
आवेदक का कहना है कि नेशनल हाईवे-8 असम त्रिपुरा से गुजरता है और नेशनल हाईवे-3 पंजाब, जम्मू की ओर जाती है, दोनों ही हाईवे मप्र से नहीं गुजरते. आवेदक की ओर से कहा गया कि नियमानुसार दो आंसर सही होने पर दोनों में अंक दिया जाना चाहिये, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई है. सुनवाई के बदा न्यायालय ने पीएससी को जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने पक्ष रखा.