जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट (MP High Court) में होने वाली भर्तियों में सौ फीसदी कम्युनल आरक्षण लागू किए जाने को चुनौती देने वाली 20 याचिकाओं की सुनवाई जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस डीडी बसंल के समक्ष बुधवार उच्च न्यायालय की ओर से कहा गया कि, स्पेशिफिक ज्यूडिशियल आदेश के अभाव में रिजल्ट सुधार संभव नहीं है. इसलिए उन्हें कुछ मोहलत दी जाए. वहीं युगलपीठ ने मामले की सुनवाई के लिए गठित स्पेशल बेंच के समक्ष मामले की सुनवाई किए जाने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 27 जुलाई को निर्धारित की है.
परीक्षा के रिजल्ट की वैधानिकता को चुनौती: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा स्टेनोग्राफर व सहायक ग्रेड-तीन के 1255 पदों की प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट की वैधानिकता को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि 100 फीसदी कम्युनल आरक्षण लागू करके एससी, एसटीए ओबीसी के अभ्यार्थियों को अधिक अंक प्राप्त करने पर भी चयन से वंचित कर दिया गया है. अनारक्षित वर्ग की कट ऑफ 78 अंक तथा ओबीसी की 82 अंक निर्धारित की गई है, जो की असंवैधानिक तथा आरक्षण नियम 4 तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंद्रा साहनी के प्रकरण में दिए गए निर्देशों के विरूद्ध है.