जबलपुर।मप्र हाईकोर्ट में होने वाली भर्तियों में सौ फीसदी कम्युनल आरक्षण लागू किये जाने को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई 29 जून को भी जारी रहेगी. याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस सुजय पाल और जस्टिस पीसी गुप्ता की युगलपीठ के सामने प्रशासन ने अपना जवाब पेश किया. जवाब में कहा गया हे कि अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थीयों को शामिल किए जाने का कोई नियम नही है.
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा स्टेनोग्राफर व सहायक ग्रेड-तीन के 1255 पदों की प्रारंभिक परीक्षा के 30 मार्च 2022 को जारी किए गए रिजल्ट की वैधानिकता को चुनौती दी गई है. आवेदकों का कहना है कि उक्त घोषित परीक्षा परिणाम जिसमें कम्युनल अर्थात 100 फीसदी आरक्षण लागू करके एससी, एसटी, ओबीसी के अभ्यार्थियों को अधिक अंक प्राप्त करने पर भी चयन से वंचित कर दिया गया है. अनारक्षित वर्ग की कट ऑफ 78 अंक तथा ओबीसी की 82 अंक निर्धारित की गई है, जो की असंवैधानिक तथा आरक्षण नियम 4 तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंद्रा साहनी के प्रकरण में दिए गए निर्देशों के विरूद्ध है. प्रशासन की तरफ से जवाब दाखिल किए जाने के बाद मामले की सुनवाई 29 जून को भी जारी रहेगी. याचिकाकर्ता की ओर से न्यायलय को बताया गया की मुख्य परीक्षा के लिए फार्म भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. फार्म भरने की अंतिम तिथि 1 जुलाई 2022 को देखते हुए न्यायालय ने सुनवाई 29 जून को निश्चित की है. हाईकोर्ट द्वारा दिये गये जवाब में कहा गया कि अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थीयों को शामिल किए जाने का कोई नियम नही है. यह तथ्य अपने आप में स्पष्ट करता है की अनारक्षित वर्ग की 50 फीसदी अर्थात ओपन सीटों को सामान्य वर्ग को आरक्षित कर दिया गया है, जबकि संविधान के अनुच्छेद 14, 16 के अलावा सुप्रीम कोर्ट के सैकड़ो फैसले है की अनारक्षित सीटें सिर्फ प्रतिभावान अभ्यर्थीयों से भरी जाएगी चाहे वे किसी भी वर्ग के हों.
पेड़ों की 53 प्रजातियों को वन उपज से हटाने का मामला:मप्र शासन द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 वृक्षों की प्रजातियों को परागमन वन उपज से हटाने जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई हाईकोर्ट की जबलपुर स्थित मुख्यपीठ में संयुक्त रूप से जारी है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मंगलवार को सुनवाई के बाद पूर्व में पारित स्थगन के आदेश को बरकरार रखा है. याचिका पर अगली सुनवाई 6 जुलाई को निर्धारित की गयी है.
संजीवनी नगर गढ़ा निवासी विवेक कुमार शर्मा की तरफ से दायर याचिका में कहा था कि मप्र शासन ने 24 सितंबर 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 प्रजातियों के वृक्षों को मप्र परागमन वन उपज नियम 2000 से हटा दिया है. जिसके तहत पीपल, बरगद, जामुन, नीम सहित अन्य महत्वपूर्ण प्रजाति के पेडों को ग्राम पंचायत की अनुमति लेकर सीधे काटकर आरा मशीन तक पहुंच जा सकता है. इसमें वन विभाग से किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता को हटा दिया गया है, जो कि अनुचित है. नोटिफिकेशन के बाद बड़ी तादाद में पेड़ों की अवैध कटाई शुरु हो गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि नेशनल हाइ-वे तथा स्टेट हाई-वे के निर्माण के लिए भी बड़ी तादाद में पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया जाता है. हरे-भरे वृक्ष काटे जाने से जंगल वीरान होते जा रहे हैं जिससे पर्यावरण संतुलन बिगड गया है. पेड़ों की कटाई के लिए निर्धारित नियमों को पालन नहीं किया जा रहा है. याचिका में वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, पीसीसीएफ, सीसीएफ, डीएफओ जबलपुर, एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी को पक्षकार बनाया गया था. हाईकोर्ट ने सितम्बर 2019 में याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी.