जबलपुर। पन्ना के महाराज महेन्द्र सर यादवेन्द्र सिंह की डिफेंस को दी गई 5 सौ एकड जमीन को अभी तक सेना के नाम दर्ज नहीं किया गया है. सरकार द्वारा उक्त भूमि को माइनिंग के लिए लीज पर दिया जा रहा है . इसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसपर चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर छः सप्ताह में जवाब मांगा है.
जयपुर, राजस्थान निवासी सुनील कुमार सिंह की तरफ से दायर इस याचिका में कहा गया था कि साल 1950 में पन्ना के पूर्व महाराज महेन्द्र सर यादवेन्द्र सिंह ने अपने स्वामित्व की 500 एकड भूमि डिफेंस (आर्मी) को दान पर दी थी. जिसे अभी तक डिफेंस के नाम पर दर्ज नहीं किया गया है. उक्त भूमि का पुलिस विभाग व अन्य सरकारी विभाग उपयोग करते हुए डिफेंस को किराया देते है. इस भूमि को अपने नाम दर्ज कराने डिफेंस की ओर से 2014 व 2017 को शासन को पत्र भी लिखे गये, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है. याचिका में कहा गया था कि उक्त भूमि को प्रदेश सरकार जेके सीमेंट प्रालि. बंसल कंस्ट्रक्शन प्रालि. व नेशनल कंस्ट्रक्ंशन डेव्हलपमेंट को माईनिंग के लिए लीज पर दे रहीं है. इससे क्षेत्र के पर्यावरण और आसपास जंगल और वन्य जीवों को भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा. याचिका कर्ता ने उक्त जमीन के कमर्शियल यूज करने और लीज पर देने से रोक लगाए जाने की मांग की है. मामले में रक्षा मंत्रालय के सचिव, मप्र शासन के सचिव, कलेक्टर पन्ना, डिफेंस स्टेट ऑफीसर जबलपुर, जेके सीमेंट प्रालि., बंसल कंस्ट्रक्ंशन प्रालि., नेशनल मिनरल डेव्हल्पमेंट सहित जितेश्वरी जूदेवी महेन्द्र महारानी को पक्षकार बनाया गया है.