जबलपुर।एक ऐसी मां जिसने अपनी बेटी के लिए हर तरह के ताने सुने, लेकिन उसे एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया जिसने सभी का मुंह बंद करा दिया. जबलपुर की अनीता विश्वकर्मा ने संघर्ष से आज अपनी बेटी अंशुल को एक बेहतरीन नृत्यांगना बना दिया है. अनीता के लिए संघर्ष आर्थिक नहीं सामाजिक था. (Jabalpur mother made her daughter best dancer)
मेरी बेटी का सामान्य चेहरा, रंग गेंहूआ है. बचपन से ही लोग उसे हीन भावना से देखा करते थे. समाज से उसे असामान्य व्यवहार मिला. हमेशा भेदभाव का सामना करना पड़ा. मैं उसे समझाती पर उसका कोमल मन बुरी तरह प्रभावित हो रहा था. बेटी के बचपन को मरते हुए मैंने देखा है. उसे ऐसे देखने की जगह मैंने और मेरे पति अंशुल ने उसे एक अलग हुनर देने की सोची ताकि वो अपना एक मुकाम बना सके. वो घर पर डांस करती थी. 4 साल की उम्र में नवरंग कथक कला केंद्र में नृत्यगुरु मोती शिवहरे को सौंप दिया महज 1 वर्ष की शिक्षा में ही जिला स्तरीय मंच पर उसने जीत हासिल की.
अनीता विश्वकर्मा
लोग कहते, बेटी कर देगी बदनाम:
जब बेटी मंचों पर परफॉर्मेंस देने लगी तो दर्शकों ने खूब तारीफ की. वहीं दूसरी तरफ घर-परिवार और रिश्तेदारों ने उलाहना और ताने देने शुरू कर दिए. कई बार मुझे भी रोना आ जाता था. एक बार कुछ परिचितों ने तो यह तक कह दिया कि बड़ी होकर बेटी हमें बदनाम करवा देगी. समाज में मुंह दिखाने के काबिल नहीं रखेगी. ये सब सुनकर मौत को गले लगाने का मन हो गया था, लेकिन मैंने खुद को संभाला और उसे एक अच्छी क्लासिकल डांसर बनाने के लिए पूरी जान लगाकर जुट गई. बेटी को भी समझाया कि तुम्हारी पहचान कद-काठी, रंग से नहीं बल्कि तुम्हारे हुनर से होगी.
अनीता विश्वकर्मा