जबलपुर। मुस्लिम युवक द्वारा नाबालिग बेटी को भगाकर ले जाने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गयी थी. याचिका में लड़की के पिता ने आरोप लगाया गया था कि बेटी की तलाश में पुलिस टीम का खर्चा भी उसे ही उठाना पड रहा है. याचिका पर हाईकोर्ट जस्टिस एसएस भटटी और जस्टिस डीके पालीवाल की युगलपीठ ने सरकारी वकील को समय देते हुए मामले की सुनवाई 9 जून को निर्धारित की है.
यह है पूरा मामला:जबलपुर निवासी नरेश कुमार कुशवाहा की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उनकी 16 साल की बेटी 11 मई की सुबह 11 बजे घर से निकली थी. जिसके बाद से वह लापता है और उसका कोई सुराग नहीं मिल पाया है. उसी दिन से क्षेत्र में रहने वाला सरफराज नामक युवक भी गायब है. बेटी की तलाश के बाद जब वह नहीं मिली तो 11 मई की रात को बरगी थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. पुलिस से नामजद रिपोर्ट दर्ज करने की गुहार लगाई, बावजूद इसके सरफराज की बजाए अज्ञात व्यक्ति के नाम पर एफआईआर दर्ज की गई.
पुलिस टीम का खर्च भी उठाया:याचिका में कहा गया था कि बेटी की तलाश में पुलिस उसे लेकर हैदराबाद गई थी. इस दौरान होटल में रूकने, खाना-पानी, डीजल का खर्च भी उसे ही उठाना पडा. जिसके बिल भी याचिका के साथ प्रस्तुत किये हैं. याचिका में कहा गया था कि परिवारिक विवाद के कारण उसकी पत्नी अलग रहती है. पत्नी के पास बेटी का फोन आया था,जिसकी जानकारी पत्नी ने उसे स्वंय दी थी. सभी जानकारी उपलब्ध करवाने के बावजूद भी पुलिस ने उसकी पत्नी तथा सरफराज के परिजनों से किसी प्रकार की पूछताछ तक नहीं की है. मामले में शासकीय अधिवक्ता के आग्रह ने युगलपीठ ने दिशा-निर्देश प्राप्त करने के लिए समय प्रदान किया है. मामले की सुनावई 9 जून को होगी.
टीकमगढ़ के पांच गावों को जोड़ने का मामला:टीकमगढ़ जिले के अंतर्गत जतारा थाना क्षेत्र के पांच गांवों को अलग कर खडग़ापुर थाना क्षेत्र में जोड़े जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी व डीके पालीवाल की युगलपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं. मामले की सुनवाई 30 जून को निर्धारित की गई है.