Urea fertilizer black marketing: जबलपुर।प्रदेश में अनुमानित खाद खपत की संपूर्ण जानकारी होने के बावजूद सीजन में खाद का संकट कैसे खड़ा हो जाता है. यह आज तक किसी के समझ नहीं आया. आलम यह है कि किसान फसल को बढ़ाने और उसमें हरियाली बनाए रखने के लिए यूरिया के लिए दर दर भटकने लगा है. जबलपुर संभाग के आसपास के जिलों में फसल बोवनी के समय डीएपी और अब यूरिया न मिलने से किसान, सरकार के साथ जिम्मेदार अधिकारियों को कोस रहा है. किसानों का कहना है कि खाद बीज की प्राइवेट दुकानों में अधिक कीमत में यूरिया मिल रही है. किसानों का आरोप है कि व्यापारियों को लाभ दिलाने के लिए अधिकारियों द्वारा यूरिया का सुनियोजित संकट हर साल खड़ा कर दिया जाता है. कुछ दिन बाद यही खाद सरकारी गोदाम में मिलने लगेगी. तब तक किसान प्राइवेट डीलर से खाद लेकर खेत में डाल चुका होगा. धान का रौपा लगने के बाद फसल की ग्रोथ और हरियाली बनाए रखने के लिए यूरिया का भारी संकट गहराने से किसानों की चिंता और भी बढ़ गई है. (Jabalpur Urea fertilizer black marketing)
Jabalpur Urea fertilizer crisis: जबलपुर किसानों को मिलने वाली यूरिया की हो रही जमकर कालाबाजारी, किसान हैं परेशान
जबलपुर में यूरिया खाद को लेकर किसान बहुत परेशान चल रहे हैं. किसान इसलिए भी ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि यह खाद प्राइवेट विक्रेताओं के पास तो भरपूर मात्रा में है, लेकिन सरकारी विक्रेता उसकी कमी बता रहे हैं. प्राइवेट विक्रेता उसके दोगुने दाम भी वसूल रहे हैं. कुछ किसानों ने मजबूरी में खरीदना भी शुरू कर दिया है, लेकिन बाकी अभी सरकारी खाद के इंतजार में हैं. (Jabalpur Urea fertilizer crisis)
प्राइवेट विक्रेताओं के पास है भरपूर स्टॉकः सहकारी समितियों की गोदामों में बीते डेढ़ हफ्तों से यूरिया का संकट है. किसान सहकारी समिति मर्यादित द्वारा बनाए गए 'परमिट' को हाथ में लिए घूम रहा है. किसानों को उनकी जमीन के रकबे के हिसाब से निर्धारित यूरिया का परमिट दे दिया गया है. लेकिन सोसायटियों में यूरिया भरपूर नहीं है. बड़े किसान महंगे दाम में प्राइवेट दुकानों से यूरिया खरीदकर खेतों में डाल रहे हैं. जिन किसानों के पास नकद राशि का जुगाड़ नहीं है. वह हाथ में परमिट लिए इंतजार में बैठा है. समय से यूरिया का छिड़काव न होने के कारण पीली होकर कमजोर होने वाली फसल के लिए कौन जिम्मेदार होगा? यूरिया का भरपूर स्टाक कैसे सरकारी गोदाम को छोड़कर प्राइवेट खाद् विक्रेताओं के पास है, यह बड़ा सवाल है. प्राइवेट विक्रेताओं के पास डीएपी के साथ यूरिया का भरपूर स्टाक हमेशा कैसे रहता है. कुछ किसान निजी फर्म से अधिक दाम देकर खाद् खरीद भी रहे हैं. खाद बीज का कारोबार करने वाले सिंडीकेट बनाकर किसानों को अमानक खाद भी बेच रहे जिसे देखने वाला कोई नहीं है. (Jabalpur farmers are very upset)
यह भी जानेःधान का अनुमानित रकवा करीब पौने 2 लाख हैक्टेयर
● डबल व सेंट्रल लॉक से हो रही नकद बिक्री में घपलेबाजी
● किसान द्वारा सीजन में प्रति एकड़ यूरिया का छिड़काव
● 100 केजी डबल लॉक में यूरिया का स्टाक
● सोसायटियों में ट्रांसपोर्टिंग का लफड़ा
● 267 की यूरिया 500 से 600 रुपए तक में बेच रहा खाद माफिया
● ऋण पुस्तिका के आधार पर सोसायटी से नकद में खाद देने की मांग
● प्राइवेट डीलर्स के पास भरपूर स्टाक कैसे, जबकि उन्हें मिल रही सिर्फ 20%
अधिकारियों के पास कागजों में यूरिया का स्टॉकः केंद्र एवं राज्य सरकार से मिलने वाली यूरिया खाद की एक एक बोरी का हिसाब विपणन मार्कफेड सहित डबल लॉक के अधिकारियों के पास कागजों में हैं. लेकिन धरातल में यूरिया नहीं है. चर्चा है कि यूरिया की कालाबाजारी में जिम्मेदार अधिकारी शामिल रहते हैं. खाद को प्राइवेट डीलर्स को 50 से 100 रुपए प्रतिबोरी मुनाफा की दर से बेच देते हैं. व्यापारी से मिली रकम को किसानों को नकद में बेची गई खाद की राशि दर्शाकर जमा कर दिया जाता है. फिर वही खाद किसानों को मनमाने रेट पर दी जाती है. जिसके चलते किसान 300 रुपए की खाद की बोरी 500 से 600 तक खाद यूरिया खरीदने पर मजबूर है. (Jabalpur farmers are still waiting government Urea)