जबलपुर। मध्यप्रदेश सरकार भले ही स्कूलों में बेहतर व्यवस्थाएं होने का दावा करती हो, लेकिन जमीनी स्तर पर हाल बदहाल हैं. कहीं बारिश होते ही स्कूलों की छत से पानी टपकने लगता है, तो कहीं फर्श धंस रही है. किसी जगह तो मूलभूत सुविधाएं जैसे पीने का पानी और बिजली तक नहीं है. कुछ ऐसा ही हाल है जबलपुर जिले के चरगवां विकासखंड में बने शासकीय स्कूल का. जहां के बच्चों का कहना है कि पढ़ने से नहीं सर क्लास में बैठने से डर लगता है. जब ईटीवी भारत की टीम स्कूल पहुंची तो यहां की दीवारें और छतें चीख-चीखकर सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार की कहानी बयां कर रही थीं. यहां रोजाना 538 बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. स्कूल की खस्ता हालत का आलम यह है कि दीवारों पर हाथ लग जाए तो रेत झड़ने लगती है, कुछ दिन पहले एक छात्रा के सिर पर प्लास्टर गिर गया था जिसमें वह घायल हो गई थी. कई सालों से यहां मरम्मत तक नहीं हुई है.
कैसे बनेगा बच्चों का भविष्य ?
स्कूल के बच्चे कक्षाओं में बैठने से डरते हैं. प्रिंसिपल और शिक्षक स्कूल की हालत से वाकिफ हैं, लेकिन बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. उन्होंने इस दुर्दशा की शिकायत प्रशासन से नहीं की है. ऐसे में स्कूल में बच्चों को बैठाना उनकी जान से खिलवाड़ है. 7 साल पहले ही 28 लाख रूपयों की लागत से इस स्कूल का निर्माण हुआ था, लेकिन चंद दिनों के बाद ही स्कूल की तस्वीर कुछ इस तरह हो गई कि दीवारों की ईंटे हाथ से निकाली जा सकती हैं. दीवार पर हाथ मारो तो रेत निकलने लगती है. हाईटेक शिक्षा का दावा करने वाला सिस्टम और शिवराज सरकार किस तरह बच्चों के भविष्य को संवार रही है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है.