जबलपुर। जीने की चाह में मेडिकल में भर्ती हुए मरीजों के लिए अस्पताल कब्रगाह बन गया, जिसने यह मंजर देखा देखा उसके रोंगटे खड़े हो गए. यह मंजर इतना भयावह था कि अस्पताल के अंदर से चीख-पुकार की आवाज बाहर आ रही थी, लेकिन आग की लपटों के कारण कोई उन्हें बचा ना सका. इसका यह परिणाम मिला कि 8 लोग जिंदा जल गए. जलने वालों में एक मरीज दुर्गेश भी था, जो ईलाज कराने के बाद कुछ ही घंटें बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद अपने घर के लिए रवाना होने वाला था, लेकिन समय का पहिया घूमा और वह काल के गाल में समा गया.
ऐसे गई दुर्गेश की जान:हॉस्पिटल अग्निकांड हादसे में मृत हुए दुर्गेश राजपूत के भाई मंगल सिंह ने बताया कि, "बीते 25 जुलाई को मेरे भाई के साथ दुर्घटना हो गई थी, जिसमें उन्हें पैर में गंभीर चोट आई थी. इसके बाद हमने उसे इलाज के लिए दमोह नाका स्थित न्यू लाइफ मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया, जहां आठ दिन इलाज के बाद सोमवार सुबह डॉक्टरों ने दुर्गेश को डिस्चार्ज करने की बात कही. एक्सीडेंटल केस होने के कारण फाइल कंप्लीट होने में ही करीब 3 से 4 घंटे का समय लग गया, इसी दौरान मैंने देखा कि हॉस्पिटल में शार्ट सर्किट के कारण भयावह आग लग गई. देखते ही देखते धुआं पूरे हॉस्पिटल में फैल गया. अस्पताल के अंदर धुआं के अलावा कुछ भी नहीं दिख रहा था, जैसे-तैसे मैंने भाग कर अपनी जान तो बचाई, लेकिन भाई दुर्गेश की जान नहीं बच सकी."