जबलपुर।लॉ स्टूडेंट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने 24 घंटे के अंदर प्रदेश के फर्जी नर्सिंग कॉलेजों पर की गई कार्रवाई का ब्यौरा उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए हैं.सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि वह किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार है. नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउसिंल की तरफ से जांच कमेटी गठित करने का आग्रह किया गया. युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि, जांच कमेटी को प्रदेश दर्शन नहीं करवाना है. (MP High Court Strict In Fake Nursing College Case) ( Madhya Pradesh High Court) (MP Fake Nursing College Case)
यह था मामला:लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि, शैक्षणिक सत्र 2000-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी. मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन कौंसिल ने निरीक्षण के बाद इन कॉलजों की मान्यता दी थी. वास्तविकता में ये कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. ऐसा कोई कॉलेज नहीं है जो निर्धारिण मापदण्ड पूरा करता है. अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है. बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है. नर्सिंग कॉलेज को फर्जी तरीके से मान्यता दिए जाने के आरोप में मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन कौंसिल के रजिस्टार को पद से हटा दिया गया था. फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित होने के संबंध में उन्होंने शिकायत की थी. शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण उक्त याचिका दायर की गई है.याचिका में साथ ऐसे कॉलेज की सूची तथा फोटो प्रस्तुत किए गए थे.
एक समय पर कई जगह सेवा:याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की निरीक्षण रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये थे. हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रदेश के 453 नर्सिंग कॉलेज के मान्यता संबंधित ओरिजनल दस्तावेज पेश किए गए थे. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को दस्तावेज के निरीक्षण की अनुमति प्रदान की थी. निरिक्षण के बाद याचिकाकर्ता ने याचिकाकर्ता ने दस्तावेजों से 37759 पेज गायब होने की जानकारी हाईकोर्ट को दी थी. इसके अलावा 80 कॉलेज ऐसे हैं जिसमें एक व्यक्ति उसकी समय में कई स्थानों में काम कर रहा है. दस कॉलेज में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य है. इन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकड़ों किलोमीटर है. टीचिंग स्टॉफ भी एक समय में पांच-पांच कॉलेज में एक ही समय में सेवा दे रहे थे. सुनवाई के बाद न्यायालय ने 24 घंटे में डिजिटल डाटा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए थे.(MP High Court Strict In Fake Nursing College Case) ( Madhya Pradesh High Court) (MP Fake Nursing College Case)
नर्सिंग कॉलेज को दी गई थी क्नील चिट: पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से युगलपीठ को बताया गया था कि, ग्वालियर खंडपीठ ने अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले नर्सिंग कॉलेज की जांच के लिए एक कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे. इस प्रकार जांच के लिए एक कमेटी घटित कर दी जाए. याचिकाकर्ता ने आपत्ति करते हुए बताया कि कमेटी ने सौफिया नर्सिंग कॉलेज तथा पिताम्बरा नर्सिंग कॉलेज को क्नील चिट दी थी. इस दौरान कॉलेज के फैक्लटी दूसरे कॉलेज में पढा रहे है. इसके बावजूद भी नर्सिंग काउसिंल ने उनका एफिलेशन रिन्यू कर दिया. युगलपीठ ने नर्सिंग कालेज की फैक्टली के संबंध में मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन कौसिंल तथा डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को हलफनामा पेश करने निर्देश जारी किए थे.(MP High Court Strict In Fake Nursing College Case) ( Madhya Pradesh High Court) (MP Fake Nursing College Case)