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High Court News: कब मिलेगा मुआवजा, दमोह उपचुनाव में ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों की मौत पर याचिका - अग्निकांड के जिम्मेदारों पर कार्रवाई कब

कोरोना काल में damoh By election में ड्यूटी पर तैनात कई सरकारी कर्मचारियों की मौत हो गई थी. उन्हें अब तक मुआवजा नहीं मिला है. इसे लेकर हाईकोर्ट(High Court News) में याचिका दायर की गई है. कोर्ट ने संबंधितक पक्षों से जवाब मांगा है.

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Published : Nov 22, 2021, 3:28 PM IST

जबलपुर। दमोह उपचुनाव(damoh By election) में ड्यूटी करने वाले 100 शासकीय कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से हुई मौत को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से हाईकोर्ट जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ को बताया, कि याचिकाकर्ता ने मृत शासकीय कर्मचारी की जो सूची हाईकोर्ट में पेश की है,(High Court News)वह उन्हें उपलब्ध नहीं करवाई गयी है. युगलपीठ ने सूची शासकीय अधिवक्ता को उपलब्ध करवाने के निर्देश जारी करते हुए अगली सुनवाई 23 नवम्बर को निर्धारित की है.

कोरोना काल में मौत का मुआवजा क्यों नहीं

याचिकाकर्ता डॉक्टर जया ठाकुर की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि दमोह उपचुनाव के दौरान चुनाव ड्यूटी करने वाले लगभग 100 शासकीय कर्मचारियों की कोरोना से मौत हुई है. जिसमें से 66 शिक्षक के पद पर कार्यरत थे. अखबार में प्रकाशित खबर में इस बात की पुष्टि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की गयी है. याचिका में कहा गया था कि उनके आश्रितों को किसी प्रकार का मुआवजा(compensation on deaths ) नहीं दिया गया है. चुनाव आयोग द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार कोरोना से मृत्यु होने पर 30 लाख रूपये की आर्थिक सहायत देने की बात कही गयी थी.

पदोन्नति नहीं दिए जाने के खिलाफ याचिका

हाईकोर्ट में कार्यरत महिला ने निर्धारित योग्यता के बावजूद भी पदोन्नति नहीं दिये जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू और जस्टिस पुरूषेन्द्र कौरव की युगलपीठ ने दस प्रतिशत ब्याज सहित अन्य वेतन सहित अन्य लाभ देने निर्देश दिये हैं. युगलपीठ ने हाईकोर्ट प्रबंधन पर पांच हजार रूपये की कॉस्ट लगाते हुए ये राशि याचिकाकर्ता के बैंक खाते में जमा करने आदेश जारी किये हैं.

अधिसूचना के बाद भी कोर्ट क्यों नहीं हुआ स्थापित

पांच साल पहले अधिसूचना जारी होने के बावजूद भी कोर्ट स्थापित नहीं किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 3 जनवरी को निर्धारित की गयी है.

अवमानना याचिका पर मांगा जवाब

मैहर स्थित शादरा मंदिर में अवैध रूप से काबिज पुजारी के खिलाफ कार्यवाही नहीं किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि पूर्व में दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान जिला कलेक्टर ने पुजारी की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था. युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए कार्यवाही के संबंध में रिपोर्ट पेश करने निर्देश जारी किये हैं. याचिकाकर्ता विजय कुमार श्रीवास्तव की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि राजा मैहर ने शादरा मंदिर में शारदा प्रसाद पांडे को उनके जीवन काल तक पुजारी नियुक्त किया था. शारदा प्रसाद पांडे के बाद उनका बेटा देवी प्रसाद पांडे अवैध रूप से पुजारी के पद पर बैठ गया. पुजारी बनने के बाद उसने मंदिर परिसर में अवैध कब्जे शुरू कर दिये.

अग्निकांड के जिम्मेदारों पर कार्रवाई कब

भोपाल के हमिदिया अस्पताल सहित प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत और उनके जख्मी होने के मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी है. याचिका में मांग की गयी है कि अग्नि हादसे के लिए दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाये. याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई संभावित है. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉक्टर पी जी नाजपांडे की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि 24 जून 2014 को सतना के सरकार अस्पताल में हुए अग्नि हादसें में दस बच्चे घायल हुए थे. 1 बच्चों की मौत हुई थी. जबलपुर स्थित मेडिकल कॉलेज में 23 अगस्त 2016 को हुए अग्नि हादसे में 7 बच्चे जख्मी हुए थे. 1 बच्चे की मौत हुई थी. भोपाल के हमिदिया अस्पताल में 8 नवम्बर 2016 के हुए अग्नि हासदे में 7 बच्चे जख्मी हुए थे तथा 10 बच्चो की मौत हुई है.

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