जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आज एक अहम फैसले में युवाओं के मताधिकार और मतदाता सूची में छेड़छाड़ पर आपत्ति जताई है. एक जनहित याचिका में समाज सेवी संस्था ने मतदाता सूची पर सवाल खडे़ करते हुए कहा था कि मतदाता सूची में कुछ ऐसे मतदाताओं का नाम हैं, जो एक से अधिक जगह जुड़ा हुआ है. वहीं बहुत सारे मृत लोगों के नाम भी मतदाता सूची में हैं और जानबूझकर इसमें सुधार नहीं किया जा रहा है.
नए मतदाताओं के मताधिकार से छेड़छाड़, HC ने EC को दिए आदेश
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची में आपत्तियों का तुरंत निरकारण करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि युवाओं के मताधिकार को प्रभावित न किया जाए.
जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के सदस्य मनीष शर्मा ने कोर्ट में इस बात पर आपत्ति दर्ज की थी कि निर्वाचन आयोग नए युवाओं का मतदाता पहचान पत्र तो बना रहा है, लेकिन उनका नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जा रहा है. शर्मा ने जब इस मुद्दे पर निर्वाचन आयोग से बात की तो निर्वाचन आयोग के अधिकारियों का कहना था कि उन्हें ऐसे आदेश हैं कि नए मतदाताओं का मतदाता पहचान पत्र तो बनाया जाएगा, लेकिन उनका नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा. शर्मा को यह बात ठीक नहीं लगी, लिहाजा उन्होंने इस मुद्दे को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका के रूप में उठाया.
निर्वाचन आयोग ही करेगा फैसला
कोर्ट ने अपने फैसले में इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय करने का अधिकार निर्वाचन आयोग को दिया है, और इस मुद्दे को सही ढंग से निराकृत करने के लिए कहा गया है. आगामी दिनों में शहर में नगरीय निकाय के चुनाव होने हैं और इसके पहले यह मतदाता सूची तैयार की जा रही है. यदि नए मतदाताओं को इसमें वोट डालने का अधिकार नहीं मिला तो अगले चुनाव पांच साल बाद होंगे और इस तरीके से युवाओं का मताधिकार प्रभावित हो रहा है.
निर्वाचन आयोग हर चुनाव के पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण करता है, इसमें जिन लोगों की मौत हो जाती है, या जो लोग बाहर चले जाते हैं, उनके नाम अलग किए जाते हैं. इस पर आपत्तियां बुलाई जाती हैं. वहीं नए लोगों के नाम जोड़े जाते हैं, लेकिन यदि नए जुड़े हुए लोगों को मत डालने का अधिकार नहीं मिले तो आम आदमी के हक पर डाका है.