जबलपुर: प्रदेश में बढ़ते बर्ड फ्लू के संभावित खतरे के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि एशिया में सबसे अधिक चिकिन और पक्षियों की सप्लाई करने वाले में शहरों में जबलपुर शामिल है. देश के 10 प्रदेशों में बर्ड फ्लू फैल गया गया है ये सभी मध्य प्रदेश से लगे हुए है. पूर्व में हाईकोर्ट ने बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाने और उनके सुझाव पर कार्रवाई करने के निर्देश दिये थे. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने एक्सर्ट कमेटी की अनुशंसा पर की गई कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किये हैं. कोर्ट नोटिस जारी करते हुए याचिका पर अगली सुनवाई 22 जनवरी को निर्धारित की है.
HC में बर्ड फ्लू से जुड़ी याचिका पर सुनवाई, सरकार से मांगा जवाब - Hearing on petition related to bird flu in HC
हाईकोर्ट में बर्ड फ्लू से संबंधित एक याचिका की सुनवाई हुई. कोर्ट ने बर्ड फ्लू से निपटने के लिए राज्य सरकार को एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए गए हैं, इसके साथ ही नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है.
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याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि जबलपुर में बड़ी संख्या में पोल्ट्री फार्म हैं. रहवासी इलाकों में भी पोल्ट्री फार्म संचालित हो रहे हैं. प्रदेश के कई शहरों में बर्ड फ्लू फैल चुका है और अन्य शहरों में फैलने का संभावित खतरा बना हुआ है. पूरे महाकौशल क्षेत्र और मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में बर्ड फ्लू इंसानों के लिए एक बड़ा खतरा बन हुआ है. वर्तमान में कोविड-19 महामारी फैली हुई और इसी बाच बर्ड फ्लू जनता के लिए घातक साबित हो सकता है, यदि सरकार इसकी रोकथाम के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं करती है तो अराजकता और तबाही का माहौल निर्मित हो सकता है.
याचिका में कहा गया था कि साल 2006 में फैले बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए कमेटी गठित करने और उनके सुझाव पर आश्यकता अनुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिये थे. याचिका में कहा गया था कि कमेटी की रिपोर्ट पर आवश्यकता अनुसार कार्रवाई नहीं की गई. याचिका में प्रदेश सरकार के स्वास्थ एवं परिवार कल्याण विभाग, पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव सहित कलेक्टर, निगमायुक्त और सीएचएमओ को अनावेदक बनाया गया था. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की.