जबलपुर। हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह में अभ्यावेदन का निराकरण नहीं करने को गंभीरता से लिया है. आदेश देने के एक साल बाद भी उस पर कार्रवाई नहीं करने के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट ने नगर निगम के भवन अधिकारी को ये बताने के लिए तलब किया है कि उन्होंने निर्धारित अवधि में अभ्यावेदन का निराकरण क्यों नहीं किया. याचिका पर अगली सुनवाई 21 सितम्बर को निर्धारित की गयी है.
क्यों ना अवमानना का दोषी माना जाए
नेपियर टाउन निवासी डॉ सतीष चंद्र वटालिया की ओर से दायर अवमानना याचिका में कहा गया था कि स्मार्ट सिटी के नाम पर सड़क चौड़ीकरण के लिए जमीन अधिग्रहण होनी थी. इसके लिए नगर निगम ने 16 जुलाई 2020 को नोटिस जारी किया था. जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोई ने 13 अगस्त 2020 को पारित आदेश में याचिकाकर्ता को नगर निगम के भवन अधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने के निर्देश दिये थे. न्यायालय ने भवन अधिकारी को निर्देशित किया था कि प्राकृतिक न्याय के तहत याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण तीन सप्ताह में किया जाये.
आदेश के 1 साल बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं
अवमानना याचिका में कहा गया था कि एक साल से अधिक का समय गुजर जाने के बावजूद भी भवन अधिकारी ने उनके अभ्यावेदन का निराकरण नहीं किया है.इसके विपरित नगर निगम का अमला उनके घर और अस्तपाल की बाउण्डी बॉल तोड़ने उस समय पहुंच जाता है, जब वे मरीजों को देख रहे होते हैं. याचिका में नगर निगम पर प्रताड़ित करने के आरोप भी लगाए हैं.
21 सिंतबर को अगली सुनवाई
अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि यह शर्मसार करने वाली बात है, कि एक निश्चित समय से अधिक का गुजर जाने के बावजूद भी आदेश का पालन नहीं हुआ. युगलपीठ ने चेतवानी दी है कि अगली सुनवाई के पहले अभ्यावेदन का निराकरण नहीं किया जाता तो अनावेदक को न्यायालय की अवमानना के संबंध में नोटिस जारी किया जायेगा. याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान नगर निगम के भवन अधिकारी राजेन्द्र कुमार गुप्ता की तरफ से पेश किये गये जवाब में बताया गया कि याकिचाकर्ता को जारी नोटिस वापस ले लिया गया है. युगलपीठ ने पाया कि निर्धारित समय अवधि में अभ्यावेदन का निराकरण नहीं किये जाने के संबंध में कोई स्पष्टिकरण नहीं दिया गया. जिसे गंभीरता से लेते हुए युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये.