जबलपुर।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही देश के विकास के लिए नई योजनाओं का दम भरते हों, लेकिन हकीकत ये है कि उनकी योजनाएं नाकाम साबित हो रही है. ऐसी नाकाम योजनाओं में से एक है सांसद आदर्श ग्राम योजना. इस योजना के तहत सांसदों ने गांव को गोद लेकर विकास के सपने दिखाए थे. ऐसे ही केंद्रीय इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने भी मंडला की ददर गांव को गोद लिया था, लेकिन आलम यह है कि इस गांव के लोग पीने के लिए बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. (jabalpur water crisis)
मिलों दूर चलकर प्यास बुझाने को मजबूर ग्रामीण: ददर गांव का आलम ये है कि यहां पानी नहीं आने की वजह से ग्रामीणों को गांव के बाहर से पानी लाना पड़ता है. मजबूरी में गांव के लोगों को मिलों दूर जाकर पीने के पानी की व्यवस्था करना पड़ रही है. सैकड़ों ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए उबड़ खाबड़ रास्तों से गुजरकर जंगलों के बीच जाना पड़ रहा है, रोजाना इसी तरह ये ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं. ग्रामीण महिलाओं का आधा दिन पानी लाने में ही गुजर जाता है, जिसकी वजह से मजदूरी करके जीवन यापन करने वाले परिवारों के सामने अब आर्थिक संकट भी पैदा हो रहा है. (Faggan Singh Kulaste adopted Dadar village)
गांव का रियलिटी चेक:ग्रामीण बताते हैं कि रास्ता इतना खराब है कि कई बार हम गिरकर घायल भी हुए हैं. इस गांव को केंद्रीय मंत्री ने गोद लिया है यहां रहने वाले ग्रामीण पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. ईटीवी भारत ने गांव में रियलिटी चेक किया तो ग्रामीणों ने बताया कि-
हम सुबह पानी के लिए अपने घरों से निकल जाते हैं, रास्ता लंबा है और तेज धूप के चलते पानी घर तक पहुंचाने की जद्दोजहद भी बनी रहती है. इस कठिनाइयों के बीच हम बूंद-बूंद पानी ला पाते हैं.' ग्रामीणों का कहना है कि 'मंत्री जी गोद लिए हुए गांव को भूल चुके हैं.' ग्रामीणों ने कई बार गांव के खराब हैंडपंप और सूखे कुंए की शिकायत भी केंद्रीय मंत्री से की है, लेकिन आज तक उस ओर मंत्री जी ने ध्यान नहीं दिया है.
ग्रामीण