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HC में याचिका EVM को पारदर्शी बनाने की मांग, कोरोना की तरह डेंगू से मौत होने पर भी दिया जाए मुआवजा

EVM को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है.याचिका में EVM में वोटिंग और मतगणना की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग की गई है.

EVM petition
EVM पर याचिका

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Published : Oct 20, 2021, 12:07 PM IST

Updated : Oct 20, 2021, 10:32 PM IST

जबलपुर। EVM का मुद्दा एक मर्तबा फिर हाईकोर्ट पहुंचा है. मप्र जनविकास पार्टी की ओर से इस बारे में एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है. याचिका में राहत चाही गई है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धाराओं के उल्लंघन को रोका जाए और निर्वाचनों का संचालन नियम 1961 के नियमों का पालन कराया जाए. इसके साथ EVM को पारदर्शी बनाने की मांग की गई अन्यथा उसके प्रयोग पर रोक लगाये जाने की मांग की गई है.

EVM पर याचिका

EVM पर हाईकोर्ट में याचिका

हाईकोर्ट में ये याचिका मप्र जन विकास पार्टी के अध्यक्ष मोतीलाल अहिरवार की ओर से दायर की गई है. आवेदक का कहना है कि EVM मतदान केंद्र पर ही मतों की गणना करती है, जबकि मतगणना केंद्र पर होनी चाहिए. अभी मतगणना के दिन रिटर्निग ऑफिसर EVM का रिजल्ट बटन दवा कर केवल परिणामों की घोषणा करता है.
चुनाव के लिए वोटिंग मशीन तैयार करने के लिए मशीन में 5 कार्य किये जाते है. लेविल चेकिंग (एफ एल सी), रेन्डोमैजेशन, सिम्बल लोडिंग, कैंडिडेट सेटिंग और पिंक पेपर शील से मशीन को शील करना. यह सभी कार्य EVM की निर्माता कंपनी बीईएल और ईसीआईएल के इंजीनियर करते हैं. यह कार्य निर्वाचन आयोग करे. क्योकि EVM मेनुअल में स्वयं चुनाव आयोग ने कहा है कि इन इंजीनियरों की सत्यनिष्ठा चुनाव आयोग के प्रति नहीं है.

EVM की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग

आवेदक का कहना है कि EVM मेनुअल के पेज 133 पर स्वयं चुनाव आयोग ने स्वीकार किया है, कि अगर किसी की EVM के FLC तक पहुंच हो जाये तो डिस्प्ले के वास्तविक मॉड्यूल को बदलकर या अतिरिक्त सर्किट डालकर बाहर से वायरलेस से कंट्रोल किया जा सकता है . EVM की मेमोरी चिप बदली जा सकती है. याचिकाकर्ता ने मांग की है की चूंकि ईव्हीएम का डिस्प्ले बाहर से वायरलेस से कंट्रोल हो सकता है. अत: मतदान केंद्र पर मेमोरी चिप बताई जाए, जिसमें वोट एकत्रित होते हैं कि वह खाली है. उसमें कोई अतिरिक्त सर्किट नहीं डाला गया है. चूंकि यह सब सॉफ्टवेयर का काम है. इसलिए प्रत्याशी को एजेंट के रूप में अपना इंजीनियर नियुक्त करने की अनुमति दी जाए.

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अभी आयोग ने निर्माता कंपनी के इंजीनियरों को छोड़कर किसी भी इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ को प्रतिबंधित किया है.

चीफ जस्टिस ने ग्रहण किया पदभार

मप्र हाईकोर्ट के 27 वें चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ ने बुधवार को अपना पदभार ग्रहण कर लिया. इस अवसर पर उन्हें गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इसके अलावा जस्टिस विवेक अग्रवाल ने भी दोपहर ढाई बजे मप्र हाईकोर्ट जज के रूप में शपथ ग्रहण की. गौरतलब है कि मप्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट स्थानांरित करने के आदेश 9 अक्टूबर को जारी किये गये थे। इसी दिन हिमाचल हाईकोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश जस्टिस आरव्ही मलिमथ को मप्र हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया था. मप्र के मुख्य न्यायाधीश श्री मलिमथ को राजभवन भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ने 14 अक्टूकर को शपथ दिलाई थी. जिसके बाद बुधवार 20 अक्टूबर को सुबह 10 . 30 बजे उन्होंने अपना कार्यभार ग्रहण किया. जस्टिस विवेक अग्रवाल का शपथ ग्रहण समारोह भी दोपहर 2.30 बजे हाईकोर्ट के साउथ ब्लॉक हॉल में हुआ. उनकी नियुक्ति के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जजो की कुल संख्या तीस हो गई है. जबकि 23 पद अभी भी रिक्त हैं.

डेंगू से मृत व्यक्ति के परिजनों को भी मिले मुआवजा

डेंगू से मृत व्यक्ति के परिजनों को मुआवजा दिये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है. इसपर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मथिमल तथा जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. पीठ ने डेंगू से संबंधित अन्य याचिकाओं के साथ उक्त याचिका की भी सुनवाई के निर्देश दिये हैं. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय ने कोरोना वायरस के कारण मृत व्यक्तियों के परिजनों को मुआवजा देने के निर्देश जारी किए हैं. इसी प्रकार डेंगू बीमारी भी वायरस के कारण फैलती है. वायरस के कारण मृत व्यक्तियों के परिजनों को मुआवजा दिने का प्रावधान है. याचिका में मांग की गयी थी कि कोरोना की तरह ही डेंगू से मृत व्यक्तियों के परिजनों को भी मुआवजा दिया जाए. याचिका में प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, नगरीय प्रशासन विकास विभाग के प्रमुख सचिव, सचिव जन स्वास्थ एवं परिवार नियोजन विभाग तथा कलेक्टर व निगमायुक्त जबलपुर को अनावेदक बनाया गया है. याचिका पर अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को निर्धारित की गयी है.

अधिवक्ता संघ का चुनाव कार्यक्रम घोषित

जबलपुर जिला अधिवक्ता संघ के चुनाव कार्यक्रम की घोषण कर दी गयी है. इसके साथ ही इस बात की चेतावनी भी जारी कर दी गई है कि न्यायालय परिसर के अंदर या दीवारों पर प्रचार के लिए पोस्टर-पम्पलेट आदि चुनाव सामग्री लगाते वाले उम्मीदवार चुनाव लडने के लिए अप्रात्र घोषित कर दिए जाएंगे. इसके अलावा धार्मिक फोटो या नारे का उपयोग भी प्रतिबंधित रहेगा. मुख्य चुनाव अधिकारी राजेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि चुनाव के लिए नामांकन पत्र का वितरण 21 अक्टूबर दोपहर 12 से शुरू होकर 23 अक्टूबर शाम 4 बजे समाप्त होगा. प्रत्याशी 25 अक्टूबर दोपहर 12 बजे से 27 अक्टूबर शाम 4 बजे तक अपने नामांकन दाखिल कर सकेगें. नामांकन वापसी का समय 28 अक्टूबर को शाम 4 बजे तक रहेगा. नामांकन पत्र की जांच 29 अक्टूबर को होगी और अंतिम सूची का प्रकाशन 30 अक्टूबर को किया जायेगा. 17 नवम्बर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान होगा और 18 अक्टूबर को मतगणना शुरू की जाएगी. मतदान के दौरान बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा. इसके अलावा मतदान कक्ष के अंदर मोबाइल ले जाने की भी मनाही होगी. सभी मतदाताओं को गणवेश में आना और परिचय-पत्र लाना अनिवार्य होगा. चुनाव के दौरान कोरोना गाइडलाइन का पालन भी अनिवार्य होगा.

Last Updated : Oct 20, 2021, 10:32 PM IST

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