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EOW Action: फर्जी तरीके से बेची गई जमीन को लकेर 4 पाटीदार और 3 तहसीलदार के खिलाफ प्रकरण दर्ज

जबलपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां बिना ट्रांसफर हुए जमीन को फर्जी तरीके से बेचा गया है. इस मामले में ईओडब्ल्यू ने जांच कर आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है. (land sold in fake manner in Jabalpur)

land sold in fake manner in Jabalpur
जबलपुर में फर्जी तरीके से बेची जमीन

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Published : Jul 26, 2022, 10:35 PM IST

जबलपुर।आदिवासियों को मिली शासन से 53 एकड़ भूमि फर्जीवाड़ा कर हड़पने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. ईओडब्ल्यू ने जांच के बाद कौड़ियों के भाव में आदिवासियों की जमीन खरीदने वाले टॉप ग्रेन मैनेजमेंट के प्रतिनिधि सहित तत्कालीन तीन तहसीलदार और चार पटवारी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है.(land sold in fake manner in Jabalpur)

फर्जी तरीके से नामांतरण कर जमीन बेची:ईओडब्ल्यू जबलपुर में पदस्थ एसआई फरजाना परवीन कटनी स्थित ग्राम करौंदी कुठिया, महगवां और गढ़ौहा में आदिवासियों को मिली 54 एकड़ शासकीय जमीन को मामूली रकम पर खरीदकर फर्जी तरीके से नामांतरण कर बेच दी. इस मामले की जांच के बाद जबलपुर आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने तहसीलदारों और पटवारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर जांच शुरु कर दी है. (EOW Action in Jabalpur)

जबलपुर में ईओडब्ल्यू की कार्रवाई

कौड़ियों के भाव बिकी जमीन:कटनी की बरही तहसील अंतर्गत ग्राम करौंदी, ग्राम गढौहा और ग्राम महगवां में 53 एकड़ शासकीय भूमि आदिवासियों को दी गयी थी. भूमि अहस्तांतरित थी, इसके बावजूद भी प्रलोभन देकर साल 2008 में आदिवासियों से उक्त भूमि कौडियों के भाव खरीद ली गई. इस संबंध में ईओडब्ल्यू से शिकायत की गई थी. जांच में मिला कि टॉप ग्रेन मैनेंजमेंट प्राईवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि रमेश सिंह निवासी ने राजस्व कर्मचारियों की मिली भगत से उक्त जमीन क्रय की है. तत्कानील कलेक्टर एस के गर्ग, आर पी अग्रवाल और आर बी द्विवेदी द्वारा अभिलेखों की जांच किए बिना पटटे की भूमि के नामांतरण का आदेश पारित कर दिया. आदिवासियों की भूमि होने के बावजूद भी नामांकरण के लिए जिला कलेक्टर से अनुमत्ति नहीं ली गयी थी.

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बिना ट्रांसफर हुए जमीन के साथ फर्जीवाड़ा:तत्कालीन पटवारी नत्थूलाल, संतोष दुबे जूनियर, संतोष दुबे सीनियर और सुखदेख सिंह ने अभिलेखों के पूर्व के सालों का अभिलेख रोस्टर नहीं कर भूमिधारकों का नाम भूमिस्वामी के रूप में दर्ज कर दिया था. इस प्रकार रमेश सिंह के साथ मिलकर तीन तत्कालीन तहसीलदार और चार पटवारियों ने आदिवासियों को आवंटित 53 एकड़ अहस्तांतरित जमीन का फर्जी तरीके से नामांकन कर दिया. ईओडब्ल्यू ने आरोपियों के खिलाफ धारा 420,467,468,471 और 120 बी सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है.

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