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हमीदिया अग्निकांड का केस पहुंचा हाईकोर्ट, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप - जुवेनाइल एक्ट पर सुनवाई

जुवेनाइल एक्ट के प्रावधान का परिपालन नहीं किये जाने को लेकर दायर की गई याचिका का निस्तारण कर दिया है. युगलपीठ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार हाईकोर्ट मामले का संज्ञान लेकर याचिका के रूप में सुनवाई कर रहा है.

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जुवेनाइल एक्ट पर याचिका का निस्तारण

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Published : Nov 11, 2021, 7:56 PM IST

Updated : Nov 11, 2021, 9:32 PM IST

जबलपुर। भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में आग लगने और 10 बच्चों की मौत का केस हाईकोर्ट पहुंच गया है. नागरिक उपभोक्ता मंच ने याचिका में कहा है कि इसमें प्रशासन की लापरवाही साफ नजर आती है. याचिका पर जल्द सुनवाई का आग्रह किया गया है.

हमीदिया अग्निकांड का मामला पहुंचा हाईकोर्ट

हमीदिया अस्पताल में आग लगाने से हुई दस बच्चों की मौत का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. इस संबंध में नागरिक उपभोक्ता मंच ने आवेदन प्रस्तुत कर जल्द सुनवाई का आग्रह किया है. हाईकोर्ट में पेश की गयी जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि आग रोकने की व्यवस्था अस्पताल में नहीं थी. याचिका हाईकोर्ट में लंबित है.नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉ पी जी नाजपांडे ने लंबित याचिका में भोपाल की घटना का उल्लेख करते हुए आवेदन पेश किया है. आवेदन में कहा गया है कि भोपाल के हमिदिया अस्पताल में आग की घटना से 10 बच्चों की मौत से सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही साफ उजागर होती है.

जुवेनाइल एक्ट पर याचिका का निस्तारण

जुवेनाइल एक्ट के प्रावधान का परिपालन नहीं किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में संज्ञान याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की युगलपीठ ने पाया कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार हाईकोर्ट स्वत: मामले का संज्ञान लेकर याचिका के रूप में सुनवाई कर रहा है. युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए याचिकाकर्ता को संज्ञान याचिका में इंटरविनर बनने की स्वतंत्रता दी है.

बचपन बचाओ आंदोलन की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था उनकी तरफ से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने जुवेनाइल एक्ट के परिपालन के लिए 15 बिन्दु निर्धारित किये थे. इसके बावजूद भी मध्य प्रदेश में जुवेानाइल बोर्ड और चाइल्ड वेयर फेयर कमेटी में पद रिक्त है. इतना ही नहीं, बच्चों द्वारा अपराध किये जाने के संबंध में कोई रिपोर्ट भी तैयार नहीं की गयी है.

याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार हाईकोर्ट मामले की सुनवाई संज्ञान याचिका के रूप में कर रहा है. याचिका लंबित होने के कारण युगलपीठ ने याचिका का निराकरण कर दिया.

कटने वाले पेड़ों के बदले 10 गुना पेड़ लगाएं

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने थाटीपुर क्षेत्र में पुर्नघनत्वीकरण योजना के तहत शासकीय आवासों के निर्माण के लिए चयनित की गई 30 हेक्टेयर जमीन में से 13 हेक्टेयर जमीन पर निर्माण करने को सशर्त रूप से मंजूरी दी है.आवासीय क्षेत्र में 4000 से ज्यादा पेड़ थे. जिन्हें वन विभाग और हाउसिंग बोर्ड ने अपने सर्वे में कागजों में उनकी संख्या कम दिखा दी और सिर्फ 1000 से कुछ ज्यादा पेड़ बताए थे.

इसी को लेकर समाजसेवी राज चड्ढा ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि इस ग्रीन बेल्ट में पेड़ों को नहीं काटा जाए. हाउसिंग बोर्ड और वन विभाग ने यहां सिर्फ कुछ पेड़ काटने योग्य बताए थे. लेकिन याचिकाकर्ता शासन के इस जवाब पर संतुष्ट नहीं थे. इसीलिए हाईकोर्ट ने एक कमेटी बनाई थी, जिसमें वन विभाग राजस्व और हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने मौके पर जाकर पेडों का भौतिक सत्यापन किया था.

हाईकोर्ट ने अपने सात बिंदुओं पर थाटीपुर में सरकारी आवासों के निर्माण को लेकर निर्देश दिए हैं . इनमें निर्माण की कार्रवाई सिर्फ 13 हेक्टेयर में होगी, जहां पुराने शासकीय कर्मचारियों के आवास बने हुए हैं .इसके अलावा जो 79 पेड़ कटने जा रहे हैं उसके 10 गुना अनुपात में इसी क्षेत्र में पेड़ लगाए जाएंगे. इसके अलावा 329 पेड़ ट्रांसप्लांट करके निर्माण कार्य के आसपास लगाए जाएंगे. उनकी सुरक्षा और ग्रोथ के लिए वन विभाग और हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी जिम्मेदार होंगे.

Last Updated : Nov 11, 2021, 9:32 PM IST

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