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जबलपुर: तेज धूप से फलों के राजा आम की बिगड़ी तबीयत, बचाव के लिए किसान कर रहे तरह-तरह के प्रयोग - Why Miyazaki and Black Mango special

भीषण गर्मी की तपिश इंसान ही नहीं फल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. चिलचिलाती धूप ने फलों के राजा आम की भी तबियत खराब कर दी है. दुनिया का सबसे महंगा आमों की वैरायटी को यह टेम्परेचर पसंद नहीं आ रहा, जिससे फसल तैयार होने से पहले ही आम पीले पड़ने लगे हैं और सूखने लगे हैं. इससे आम उत्पादकों के चहरे से खुशी गायब है और लाखों के नुकसान की आशंका जताई जा रही है.

Damage mango crop due to high temperature
गर्मी से फलों के राजा आम की बिगड़ी तबीयत

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Published : May 9, 2022, 1:45 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश में भीषण गर्मी का प्रकोप चरम सीमा पर है. पारा 43 डिग्री के पार पहुंच रहा है, जिसके चलते इतनी भीषण गर्मी पड़ रही है कि घर और बाहर उमस ही ही उमस है. घर के बाहर निकलते ही त्वचा झुलस जाती है और घर के भीतर भट्टी जैसी तपिश ने जन-मानस का जीना मुहाल कर दिया है. भीषण गर्मी का असर अब फसलों पर भी पड़ने लगा है, इसी के चलते तेज गर्मी से झुलसने के कारण फलों के राजा आम भी बीमार की चपेट में आ गए हैं. जिन्हें बचाने के लिए अब किसान तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं. इस झुलसा देने वाली गर्मी से पूरा जन-जीवन बेहाल हो गया है.

आम की फसल के बचाव के लिए किसान कर रहे तरह-तरह के प्रयोग

तापमान के आगे सारे उपाय फेल: भीषण गर्मी के चलते फलों के राजा आम की फसल को इस बार भारी नुकसान पहुंच रहा है. आसमान से बरस रही आग में एक तरफ इंसान की मुश्किलें बढ़ाई हैं, तो दूसरी तरफ आम की पैदावार करने वाले किसानों को भी चिंता में डाल दिया है. जबलपुर में 43 डिग्री से ऊपर तापमान रहने के चलते आम की फसल पर खासा असर देखने को मिल रहा है. अचानक बढ़े पारे ने आम के पेड़ों पर लगे बौर को झुलसा दिया है. पेड़ की डालियों से कच्चे आम टूट कर जमीन पर गिरने लगे हैं. जिन आम के पेड़ों में बौर ने फल का रूप ले लिया था, वह पकने से पहले ही मुरझा गए हैं. इससे आम उत्पादकों के चहरे से खुशी गायब है.

फसल तैयार होने से पहले ही पीले पड़ने लगे आम

पैदावार पर 50 फीसदी असर: विदेशी किस्मों के आमों को जबलपुर के वातावरण में पैदा करने वाले आम बगीचे के मालिक संकल्प परिहार बताते हैं, कि इस बार की गर्मी ने आम की फसल पर खासा असर डाला है. अप्रैल महीने में 40 डिग्री के ऊपर तापमान रहने की वजह से आम के पेड़ मुरझाने लगे हैं. फलों का आकार भी बेहद छोटा हो गया है और समय से पहले ही फल पीले पड़ने लगे हैं. आम की फसल को बचाने के लिए हर तरह के उपाय कर लिए, लेकिन भीषण गर्मी ने सारे उपायों पर पानी फेर दिया. संकल्प परिहार का कहना है कि इस बार आम की पैदावार में 50 फीसदी का असर देखने को मिलेगा. आम के बगीचे में लगे मल्लिका, आम्रपाली, ब्लैक मैंगो, अल्फांसो जैसे आठ विदेशी किस्म के आम हैं. इनमें मियाजाकी आम सबसे प्रमुख है, जिसकी कीमत लाखों में है.

गर्मी का आम की पैदावार पर गहरा असर

लखटकिया 'मियाजाकी आम':संकल्प सिंह कहते हैं कि जापान का मियाजाकी आम दुनिया का सबसे महंगा आम है, यह जापान के मियाजाकी प्रांत में ही उगाया जाता है उसी के नाम पर इसका भी नाम 'मियाजाकी' है. लाखों में कीमत होने के कारण जापान में तो इसकी बोली लगाई जाती है, इसी के साथ भारतीय रुपयों में इसकी कीमत 2 लाख 70 हजार रुपये है. अब देश में भी इसे कई जगहों पर लोग इसे उगा भी रहे हैं.

ऐसा होता है 'मियाजाकी आम':'मियाजाकी आम' का वजन अधिकतम 900 ग्राम तक होता है, पकने पर यह हल्का लाल और पीला हो जाता है. इसकी खास बात यह है कि इसमें रेशे नहीं पाए जाते हैं और खाने में यह बहुत मीठा होता है. जापान में इस आम को संरक्षित वातावरण में पैदा किया जाता है, वहीं जापान मीडिया के मुताबिक 'मियांजाकी आम' दुनिया का सबसे महंगी प्रजाति का माना जाता है. बीते वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाजार में मियाजाकी की कीमत ढाई लाख रुपए तक पहुंच गई थी.(World most expensive Miyazaki Mango)

आखिर क्यों खास है 'मियाजाकी आम':वैसे तो पूरी दुनिया में आम की 3000 से भी अधिक प्रजातियां है जिसमें कई आम बहुत ही खास होते है पर इन खास में से सबसे खास होता है 'मियाजाकी आम'. यह आम इसलिए भी खास है कि क्योंकि आम की कीमत लाखों में होती है, जबलपुर के संकल्प सिंह परिहार का बगीचा नांनाखेड़ा गांव में है, जहां उनके बगान की रौनक बढ़ा रहा है जापान का 'मियाजाकी आम'.

फसल तैयार होने से पहले ही पीले पड़ने लगे आम

ब्लेक मेंगो खाया क्या?:संकल्प सिंह ने इस साल अपने बागान में आमों की एक नई किस्म की खेती की है. अमेरिका के फ्लोरिडा में पैदा होने वाला मैंगिफेरा 'टॉमी एटकिंस' जिसे ब्लेक मेंगो के नाम से भी जाना जाता है. ब्लेक मेंगो में कई विशेष गुण होते हैं, जिनमें से एक यह है कि इसका सेवन करने से ब्लड शुगर नहीं बढ़ता है. यह मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जिन्हें आमतौर पर फलों का सेवन करने से बचना पड़ता है वह यह स्वादिष्ट आम खा सकते हैं. यह किस्म, जिसे काला आम भी कहा जाता है गहरे बैंगनी रंग का होती है और इसका पल्प (गूदा) लाल रंग का होता है. इस आम में चीनी भी बहुत कम होती है और स्वाद में अधिक अम्लीय होता है जो, इसे मधुमेह के रोगियों के लिए उपभोग के लिए एक आदर्श किस्म बनाता है.

तापमान के आगे सारे उपाय फेल

फसलों को खासा नुकसान: संकल्प सिंह ने इस बार अपने बागान में आमों की एक नई किस्म की खेती की है, जो अमेरिका के फ्लोरिडा में पैदा होने बाला मैंगिफेरा 'टॉमी एटकिंस' जिसे ब्लैक मेंगो के नाम से भी जाना जाता है. उसके साथ ही चीन में पाया जाने वाला 'आइवरी' जिसे हाथी दांत और 2KG आम भी कहा जाता है, इस आम का औसत वजन 2 से 3 किलो तक का होता है. इसके साथ ही और अन्य फसलों में खासा नुकसान देखने को मिल रहा है. अगर मौसम की यही स्थिति बनी रही तो इस बार आम की पैदावार में भारी कमी आएगी.

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आमों की वीआईपी सुरक्षा: संकल्प सिंह परिहार ने इस बार इन आमों की सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए थे. 'मियाजाकी' की सुरक्षा के लिहाज से पूरे बागान को सीसीटीवी कैमरे से कैद किया गया था. सुरक्षा में 9 नहीं 12 विदेशी नस्ल के और 3 देसी डॉग लगाए गए हैं. इसके अलावा 4 सुरक्षा गार्ड भी हैं, जो कि 24 घंटे मियाजाकी की सुरक्षा में तैनात रहते हैं और निगरानी करते हैं. संकल्प सिंह ने आम की सुरक्षा के लिए विदेशी और खतरनाक डॉग पाल रखे हैं, जो कि 'मियाजाकी' के पास आने वालों के लिए यमराज से कम नहीं हैं. लेकिन इस भीषण गर्मी ने उनकी चिंता को और भी बढ़ा दिया है.

जबलपुर में आमों की वीआईपी सुरक्षा

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सेल्फी लीजिए पर छुएं नहीं:संकल्प सिंह परिहार ने बताया कि यह आम के फल उनके लिए बच्चों के समान हैं, यही वजह है कि उन्होंने बागान में आने वाले लोगों से अपील की है कि वह आमों को देखें और उसके साथ सेल्फी भी लें लेकिन इसे छुए नहीं. उनका कहना है कि आम बहुत ही नाजुक होते हैं और जरा सा धक्का लगने से ही है टूट जाते हैं. लिहाजा संकल्प सिंह ने लोगों से निवेदन किया है कि इसे टच ना करें.

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