जबलपुर। विख्यात कत्थक नर्तक बिरजू महाराज का अपने घर पर निधन हो गया, यह जानकारी उनकी पोती ने दी. जानकार बताते हैं कि जबलपुर से उनका गहरा नाता रहा है. अपने जीवनकाल में दो बार बिरजू महाराज जबलपुर आए और दोनों बार उन्होंने अपने नृत्य से जबलपुर के लोगों का मन मोह लिया था. बिरजू महाराज की पहली यात्रा वर्ष 1957-58 में भातखंडे संगीत महाविद्यालय के भवन निर्माण के लिए धनराशि जुटाने के उद्देश्य से हुई थी. महाराज जी की दूसरी और अंतिम जबलपुर यात्रा वर्ष 2013 में हुई.
बिरजू महाराज के कार्यक्रम में उमड़ी थी भीड़
बिरजू महाराज का कार्यक्रम जबलपुर के शहीद स्मारक में आयोजित हुआ था, बिरजू महाराज के कत्थक नृत्य को देखने जबलपुर के कला रसिक की भीड़ शहीद स्मारक में उमड़ पड़ी थी. उस कार्यक्रम में बिरजू महाराज ने भाव प्रदर्शन करने के लिए ठुमरी की लाइन गाई थीं 'रूकत डगर श्याम'. भातखंडे महाविद्यालय के तबला वादक गजानन ताड़े लाइन को बार-बार गाते थे और उन लाइन में बिरजू महाराज ने अलग-अलग भाव प्रदर्शित किए थे. उस समय भातखंडे संगीत महाविद्यालय की विद्यार्थी साधना उपाध्याय हुआ करती थीं, उन्होंने बिरजू महाराज के कार्यक्रम की टिकट घर-घर जा कर बेची थीं.
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