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बक्सवाहा जंगल में हीरा खनन पर HC ने लगाई रोक, रॉक पेंटिंग समेत कई संपदा हो सकती हैं नष्ट

MP हाईकोर्ट ने बक्सवाहा जंगल में हीरे के लिए होने वाली खनन पर रोक लगा दी है. चीफ जस्टिस आरवी मलिमथ और जस्टिस विजय शुक्ला की डबल बेंच ने कहा, कि इससे वहां मिली पाषाण युग की रॉक पेंटिंग और प्राचीन मूर्तियां नष्ट हो सकती है.

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बक्सवाहा जंगल में हीरा खनन पर HC ने लगाई रोक

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Published : Oct 26, 2021, 6:50 PM IST

Updated : Oct 26, 2021, 8:09 PM IST

जबलपुर। बक्सवाहा जंगल में हीरा खदान के लिए आवंटित जमीन पर उत्खन्न किये जाने पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने रोक लगा दी है. आर्कीयॉलाजीकल विभाग द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट में कहा गया था, कि बक्सवाह जंगल में स्थित रॉक पेटिंग पाषाण युग के मध्यकाल की है. युगलपीठ ने रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद उत्खन्न पर रोक लगाने के निर्देश जारी किये हैं.

MP हाईकोर्ट की बक्सवाहा जंगल में हीरा खनन पर रोक

बक्सवाहा हीरा खदान के खिलाफ हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गयी थी. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ पीजी नाजपांडे की तरफ से दायर की गयी याचिका में बक्सवाहा के जंगल में 25 हजार वर्ष पूर्व की अतिप्रचलित रॉक पेंटिंग को पुरातात्विक संपदा घोषित किये जाने मांग की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि रॉक पेंटिंग की जानकारी दिये जाने के बावजूद भी पुरातत्व विभाग द्वारा इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित नहीं किया गया है. इस क्षेत्र में 364 हेक्टेयर भूमि में प्रस्तावित डायमंड माईनिंग की कार्यवाही कभी भी शुरु हो सकती है. पेंटिंग पाषाण युग में मानव जीवन की जानकारी देने वाले स्त्रोत के लिये महत्वपूर्ण है. पर्यावरण तथा बक्सवाहा जंगल से जुड़े बिंदु पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की गई थी. पुरातात्विक संपदा का मामला एनजीटी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, इस कारण हाईकोर्ट में उक्त याचिका दायर की गई है.

आदित्य बिरला ग्रुप को लीज पर दी है खदान

हरियाणा फरिदाबाद निवासी रमित बासु, महाराष्ट्र पुणे निवासी हर्षवर्धन मेलांता और उप्र निवासी पंकज कुमार की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था, कि हीरे की खदान के लिए आदित्य बिरला ग्रुप की एस्सल माइनिंग एंड इंड्रस्ट्री को छतरपुर स्थित बक्सवाहा के जंगल की 382 हैक्टेयर जमीन राज्य सरकार ने 50 साल की लीज पर दी है. हीरा उत्खन्न के लिए रेन फारेस्ट के लगभग सवा दो लाख पेड़ों को काटा जायेगा. जबकि ये जंगल पन्ना टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है. जो टाइगर कॉरिडोर में आता है. इसके लिये एनटीसीए और वाइल्ड लाइव बोर्ड से अनुमति भी नहीं ली गई है.

वन्य जीवों को भी जीने का हक

आवेदकों का कहना है कि वनजीवों को जीवन का अधिकार प्राप्त है और वो जंगल में रहते हैं.जब जंगल नष्ट हो जायेंगे तो वनप्राणी कहां रहेंगे. पृथ्वी में सभी को जीवन का अधिकार प्राप्त है. बक्सावाहा के जंगल में बड़ी संख्या में वन सम्पदा है और ऐसे जंगल पनपने में हजारों साल लगते हैं. राज्य सरकार ने लाभ के लिए जंगल की जमीन को लीज पर दिया है,जो गलत निर्णय है.

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रॉक पेंटिंग समेत कई संपदाएं खत्म होने का अंदेशा

युगलपीठ ने पूर्व में याचिका की सुनवाई करते हुए आर्कियॉलिजीकल विभाग को सर्वे कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये थे. विभाग द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट में रॉक पेटिंग के संबंध में जानकारी पेश की गयी. रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद युगलपीठ ने उत्खन्न पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए.

स्कॉलरशिप में छात्रों से भेदभाव क्यों

मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना के तहत दी जाने वाली स्कालरशिप में एमपी बोर्ड और सीबीएसई के लिये अलग-अलग मापदंड अपनाये जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मालीमथ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

MP बोर्ड और CBSE में अलग अलग मापदंड

जनहित याचिका खंडवा निवासी सजाजसेवी राजीव शेट्टी की ओर से दायर की गई है. जिसमें मुख्यमंत्री मेधावी योजना के तहत कक्षा बारहवीं के छात्रों को दी जाने वाली स्कालरशिप में अलग-अलग मापदंड अपनाये जाने को चुनौती दी गई है.आवेदक का कहना है कि योजना के तहत एमपी बोर्ड में कक्षा बारहवीं का छात्र यदि 70 फीसदी से अधिक अंक लाता है तो उसे योजना के तहत स्कालरशिप प्रदान की जायेगी, वहीं दूसरी ओर सीबीएसई का छात्र यदि 85 फीसदी से अधिक अंक लाता है तभी उसे उक्त योजना में शामिल किया जायेगा. जबकि दोनों में एक ही मापदंड होना चाहिये. सुनवाई के बाद न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये.

प्रदेश में एडीपीओ के 340 पद रिक्त

न्यायालयो में लंबित आपराधिक मामलों में अभियोजन पक्ष की पैरवी के लिए पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की नियुक्ति से संबंधित संज्ञान याचिका और अन्य याचिकाओं की सुनवाई हाईकोर्ट में हुई. सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि प्रदेश में कुल प्रदेश में एडीपीओ के कुल 1116 पद है जिसमें से 340 रिक्त हैं. वित्त विभाग ने रिक्त पदों में से 92 पदों पर नियुक्ति के लिए सहमति प्रदान की है. युगलपीठ ने इस संबंध में वित्त विभाग को हलफनामा पेश करने के निर्देश दिये हैं. युगलपीठ ने सीबीआई को निर्देश किया है कि उनकी तरफ से उपस्थित होने वाले पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के संबंध में जानकारी पेश करें. याचिका पर अगली सुनवाई बुधवार 27 अक्टूबर को निर्धारित की गयी है.

मच्छरों से कैसे निपट रहे हैं, पेश करो रिपोर्ट

साफ-सफाई के आभाव में संक्रामक बीमारियों फैलने और प्रभावित बच्चों को समुचित उपचार नहीं के खिलाफ दायर तीन याचिकाओं को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मथिमल तथा जस्टिस विजय कुमार शुक्ला ने गंभीरता से लिया है. युगलपीठ ने नगर निगम जबलपुर को निर्देशित किया है कि मच्छरों के विनिष्टिकरण के लिए की गयी कार्यवाही कर रिपोर्ट 24 घंटों में पेश करें. चिका पर अगली सुनवाई बुधवार को निर्धारित की गयी है.

Last Updated : Oct 26, 2021, 8:09 PM IST

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