मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / city

शराब को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में रखे जाने का मामला, हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिए जवाब पेश करने के निर्देश - शराब को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में रखे जाने का मामला

शराब को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में रखे जाने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर चुनौती दी गयी थी. इसके अलावा बिना रजिस्ट्रेशन व लायसेन्स से शराब की बिक्री को चुनौती की गयी थी. इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस व्ही के शुक्ला की युगलपीठ ने दोनों याचिकाओं की संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश जारी किये हैं

-madhya-pradesh-high-court-headlines
शराब को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में रखे जाने का मामला

By

Published : Sep 23, 2021, 9:06 PM IST

जबलपुर। शराब को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में रखे जाने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर चुनौती दी गयी थी. इसके अलावा बिना रजिस्ट्रेशन व लायसेन्स से शराब की बिक्री को चुनौती की गयी थी. इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस व्ही के शुक्ला की युगलपीठ ने दोनों याचिकाओं की संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश जारी किये हैं. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि खादय सुरक्षा व मानक अधिनियम की धारा में शराब को खादय वस्तु की श्रेणी में रखा गया है. खादय वस्तु की श्रेणी में रखे जाने के बावजूद भी बिना लायसेंस व रजिस्टेशन से शराब की ब्रिकी प्रदेश में जारी है. याचिका में शराब की बिक्री को लेकर मांग की गयी थी कि शराब ब्रिकी ने लिए लायसेंस व रजिस्टेशन अनिर्वाय किया जाए. दोनों याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई करते हुए होईकोर्ट ने उक्त आदेश जारी किए हैं. याचिका पर अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी.

गौशाला की स्थिति पर पेश करें कम्पाईल रिपोर्ट

मप्र हाईकोर्ट में मवेशियों की तस्करी व पशुवध रोकने और गौशाला स्थापित करने व उनकी दुर्दशा संबंधी मामलों को काफी गंभीरता से लिया है. शहर की सड़कों पर घूम रहे मवेशियों व हाइवे पर हो रहीं मेविशियों की मौत पर चिंता जाहिर करते हुए न्यायालय ने पूर्व में सरकार द्धारा पेश की गई पुर्नवास संबंधी पॉलिसी पर कम्पलाईज रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये हैं. मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को निर्धारित की है.

नाबालिग को 7 दिन में कोर्ट में पेश करो

यौन शोषण की शिकार नाबालिग पुत्री के लापता होने पर मां द्वारा हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गयी थी. इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा की कोर्ट ने पुलिस को निर्देशित किया है कि वह नाबालिग लड़की को सात दिन में न्यायालय के समक्ष पेश करें. जबलपुर निवासी पीडित मां की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उसकी नाबालिग पुत्री का अपहरण कर एक युवक ने उसका यौन शोषण किया था. पुलिस ने आरोपी युवक तथा उसके पिता के खिलाफ यौन शोषण की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था, लेकिन उक्त अपराध में आरोपी के पिता को जमानत मिल गयी. जमानत पर रिहा होने के बाद युवक के पिता द्वारा बयान बदलने को लेकर अनुचित दबाव डाला जा रहा था. बीते 18 सितम्बर को उसकी बेटी अचानक गायब हो गई. जिसपर याचिकाकर्ता को आशंका है कि युवक के पिता ने ही उसकी पुत्री को कैद कर रखा है और उसकी जान को खतरा है. याचिकाकर्ता ने बतााया कि शिकायत करने के बावजूद भी पुलिस ने केवल गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की है. पीडित मां का आरोप है कि पुलिस उसकी बेटी को खोजने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं कर रही है. जिसके बाद पीडि़त मां याचिका पर हाईकोर्ट के जज ने उक्त निर्देश जारी किए हैं.

For All Latest Updates

ABOUT THE AUTHOR

...view details