जबलपुर। केंद्र सरकार ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने की अनुमति दिए जाने के बाद, इस नई नीति के तहत पेट्रोल में 10% एथेनॉल मिलाया जा रहा है. ऐसा होने से लोगों को इस बात की उम्मीद थी कि इसका फायदा आम आदमी को भी मिलेगा. जबकि हो रहा है इसका उल्टा, आम आदमी को फायदा मिलने की बजाए सरकार उसे चूना लगा रही है. इस मामले में जबलपुर की एक सामाजिक कार्यकर्ता ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की थी. इस याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पेट्रोल कंपनियों औ सरकार से जवाब मांगा है.
नागरिक उपभोक्ता मंच का आरोप नागरिक उपभोक्ता मंच का आरोप 60 रुपए का एथेनॉल 110 रु. में कैसे बेचा जा रहा है?
हाईकोर्ट में फाइल की गई पीआईएल में याचिकाकर्ता ने पेट्रोल कंपनियों और सरकार पर आम आदमी को चूना लगाने का आरोप लगाया है. याचिका में पूछा गया है कि 60 रुपए प्रति लीटर में बिकने वाला एथेनॉल ₹110 में कैसे बेचा जा रहे हैं. पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने के नाम पर आम आदमी को क्यों लूटा जा रहा है.
नागरिक उपभोक्ता मंच का आरोप ऐसे समझें पूरा मामला1 लीटर पेट्रोल मैं 10% एथेनॉल मिलाया जा रहा है. यदि हम 10 लीटर पेट्रोल खरीदते हैं, तो हमें लगभग 1 लीटर एथेनॉल मिला हुआ पेट्रोल मिलता है. 10 लीटर पेट्रोल की कीमत होती है लगभग 11 सौ रुपए. इसमें ₹60 का एथेनॉल मिला हुआ है. यानि आपने जो पेट्रोल खरीदा वो 1050 रुपए का हुआ. अब जो 60 रुपए जो आपने चुकाए वो एथनॉल की कीमत है. पेट्रोल की कीमत अभी लगभग 110 ₹/ लीटर है. यानि पेट्रोल की वास्तिवक कीमत 1050 रुपए हुई और जो 60 रुपए आपने ज्यादा चुकाए वो सरकार को मुफ्त में दे दिए. एथेनॉल पर जीएसटी लगता है यदि वह जीएसटी भी हम लगाते हैं तो भी कीमत ₹70 से ज्यादा नहीं होगी, लेकिन सरकार इसपर vet लगा रही है, तब भी एथनॉल मिश्रित पेट्रोल की कीमत लगभग ₹90 रुपए के करीब होती है, लेकिन बाजार में जो पेट्रोल बेचा जा रहा है उसकी कीमत 110 रुपए है, यानि 20 रुपए ज्यादा वसूले जा रहे हैं, ऐसा क्यों हो रहा है इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
3 महीने बीते, सरकार ने नहीं दिया जवाब
इस मामले को जबलपुर की सामाजिक संस्था नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के सामने उठाया. मंच ने हाई कोर्ट से इस लूट पर रोक लगाने और पेट्रोलियम कंपनियों से जवाब मांगा है कि एथेनॉल मिलाने के बाद पेट्रोल के दाम ₹5 कम होने थे कम क्यों नहीं किए गए. इस मामले की हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है. हाई कोर्ट की तरफ से सरकार को नोटिस भेजा जा चुका है, लेकिन 3 महीने बीत जाने के बाद भी सरकार की तरफ से इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया गया है.