इंदौर।डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है. क्योंकि सफेद कोट पहनकर दिन रात काम करने वाले डॉक्टर ही होते हैं, जो लोगों को मौत के मुंह में जाने से बचा लेते हैं. डॉक्टरों के सम्मान में 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. इस दिन डॉक्टर्स की सेवा के लिए लोग उन्हें धन्यवाद देते हैं. इतिहास में ऐसे कई डॉक्टर्स हुए हैं जिन्हें इस दिन याद किया जाता है. उन्हीं में से एक थीं इंदौर की डॉक्टर भक्ति यादव. उनके नाम 1 लाख ऑपरेशन करते हुए हजारों प्रसूता महिलाओं की जान बचाने का रिकॉर्ड है. यही वजह है कि भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री (Padma Shri Dr Bhakti Yadav) से सम्मानित किया था. भक्ति यादव अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनके सम्मान में इंदौर में एक सड़क मार्ग का नामकरण कराकर उनकी मूर्ति की स्थापना की जा रही है.
MBBS करने वाली प्रदेश की पहली महिला : भक्ति यादव का जन्म 3 अप्रैल 1926 को उज्जैन के महिदपुर में एक महाराष्ट्रीयन परिवार में हुआ था. 1937 के दौर में जब लड़कियों को ज्यादा पढ़ाना संभव नहीं था. तब भी उन्होंने परिवार की मर्जी के बिना पिता के सहयोग से सातवीं कक्षा तक पढ़ाई की. इसके बाद इंदौर में छात्राओं की पढ़ाई के लिए निर्धारित एकमात्र अहिल्या आश्रम स्कूल में एडमिशन लिया. यहां उन्होंने कक्षा ग्यारहवीं तक और 1948 में इंदौर के होलकर साइंस कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की. इस दौरान वह टॉपर भी रहीं. इसके बाद उन्होंने इंदौर के एमजीएम कॉलेज (MGM Medical collage) में एमबीबीएस के लिए शुरू हुए पाठ्यक्रम में दाखिला लिया. वह पहली गर्ल स्टूडेंट थी जिनको 39 छात्रों के बीच प्रवेश दिया गया था. लिहाजा डॉक्टर भक्ति यादव प्रदेश में एमबीबीएस करने वाली पहली छात्रा रही हैं.
पड़ोसी राज्यों से भी इलाज कराने आते थे लोग :भक्ति यादव ने गाइनेकोलॉजी से एमएस करने के बाद शहर की जरूरतमंद गरीब प्रसूताओं की मदद करते हुए उनकी नॉर्मल डिलीवरी के अभियान की शुरुआत की. इसके बाद नंदलाल भंडारी मेटरनिटी होम समेत अन्य दो अस्पतालों में उन्होंने 64 साल तक लगातार गरीब महिला का इलाज करते हुए करीब एक लाख गायनिक ऑपरेशन का रिकॉर्ड बनाया. भक्ति यादव इंदौर ही नहीं मध्य भारत की ऐसी गाइनेकोलॉजिस्ट के रूप में ख्यात हुई जिन्होंने इतनी बड़ी संख्या में गरीब महिलाओं की डिलीवरी कराई, वह भी समाज सेवा के तहत. यही वजह रही कि इंदौर के अलावा उस दौर में उनसे इलाज कराने के लिए मध्य प्रदेश के सीमावर्ती राज्य महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान आदि इलाकों से लोग इलाज कराने आते थे.