ईटीवी भारत डेस्क: जय जगन्नाथ, सनातन धर्म को एक सूत्र में जोड़ने वाले चार धामों में से एक जगन्नाथ पूरी के पवित्र 'महाप्रसाद' में सभी धर्मप्रेमियों की गहरी आस्था है. सबसे बड़ी मान्यता ये है कि महाप्रसाद (Mahaprabhu mahaprasad) ग्रहण करने वाला हर भक्त भवसागर पारकर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है. भगवान जगन्नाथ मंदिर के आसपास बहुत सारे रहस्य हैं, उनमें से अधिकांश मंदिर की रसोई से जुड़े हैं. ये दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है.
इस रसोई में 56 तरह के 'भोग' पकाए जाते हैं. हर दिन रसोई में देवताओं के लिए लकड़ी की आग पर मिट्टी के बर्तनों में भोजन पकाया जाता है. पवित्र 'महाप्रसाद' एक दिन में एक लाख लोगों को खिलाया जाता है. लगभग 2400 रसोइया चौबीसों घंटे इस काम में लगते हैं. महाप्रसाद को 752 छोटे ओवन (चूल्हे) पर पकाया जाता है. भगवान जगन्नाथ, जिन्हें 'जगा कालिया' भी कहा जाता है, मंदिर के मुख्य देवता हैं. उन्हें महाप्रसाद (56 भोग से मिलकर) के साठ पौति (एक प्राचीन माप) खिलाये जाते हैं.
रसोई में खाना पकाने की प्रक्रिया भी खास है. एक ही ओवन में नौ मिट्टी के बर्तन रखे जाते हैं और एक साथ खाना पकाया जाता है. महाप्रसाद खास तरह के मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है, जिन्हें कुडुआ कहते हैं. इन बर्तनों को एक के ऊपर एक रखा जाता है. हैरानी की बात यह है कि सबसे ऊपर रखे बर्तन में चावल हमेशा सबसे पहले पकता है. यह पवित्र महाप्रसाद भगवान को चढ़ाए जाने के बाद एक दिन में लगभग एक लाख लोगों को परोसा जाता है. आश्चर्य की बात यह है कि महाप्रसाद कभी कम नहीं पड़ता.