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नकली Remdesivir मामला: डॉक्टर पर रासुका की कार्रवाई यथावत, HC ने याचिका की निरस्त

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Published : Jun 24, 2021, 11:45 PM IST

Updated : Jun 25, 2021, 7:02 AM IST

400 नकली Remdesivir Injection की कालाबाजारी करने वाले डॉक्टर ने रसुका की कार्रवाई के बाद, इसे निरस्त करने के लिए इंदौर हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है.

Fake Remdesivir Case
नकली Remdesivir मामला

इंदौर। क्राइम ब्रांच पुलिस ने 400 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ गिरफ्तार किया था, इस पूरे मामले में रासुका की कार्रवाई भी की थी. रासुका की कार्रवाई को लेकर डॉक्टर ने एक याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी, जिसे कोर्ट ने निरस्त कर दिया है. ऐसे में डॉक्टर के खिलाफ रासुका की कार्रवाई जारी रहेगी.

400 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ पकड़ा गया था डॉक्टर

डॉक्टर विनय शंकर त्रिपाठी हिमाचल प्रदेश की एक कंपनी से 400 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, कार के माध्यम से इंदौर लेकर पहुंचा था और इन्हें बाजार में खपाने की तैयारी कर रहा था, लेकिन उसके पहले ही इंदौर क्राइम ब्रांच ने कार्रवाई करते हुए डॉक्टर विनय शंकर त्रिपाठी अन्य को गिरफ्तार किया था. वहीं दोनों आरोपियों पर पुलिस ने रासुका की कार्रवाई भी की थी और उन्हें सलाखों के पीछे भी पहुंचा दिया था. जेल में बंद आरोपियों ने रासुका की कार्रवाई को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका लगाते हुए रासुका की कार्रवाई को निरस्त करने की मांग की थी. वहीं कोर्ट ने भी दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपियों पर रासुका की कार्रवाई को सही ठहराया और आरोपियों की ओर से लगाई गई याचिका को निरस्त कर दिया.

रासुका हटाने की याचिका कोर्ट ने की खारिज

बता दें कि डॉक्टर विनय शंकर त्रिपाठी हिमाचल प्रदेश से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन ला रहा था, तभी क्राइम ब्रांच की टीम ने डॉक्टर के साथ उसके एक सहयोगी को भी गिरफ्तार किया था. फिलहाल दोनों आरोपियों के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की गई है. दोनों आरोपी जेल में बंद हैं. दोनों आरोपियों ने जेल में बंद रहते हुए अपने वकील के माध्यम से इंदौर हाई कोर्ट में रासुका की कार्रवाई को निरस्त करने के लिए याचिका लगाई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उस याचिका को निरस्त कर दिया है. इस पूरे मामले में सरकार की ओर से पैरवी पुष्यमित्र भार्गव ने की थी.

कांग्रेस नेता जतिन वर्मा पर लगी रासुका की कार्रवाई निरस्त

राजेंद्र नगर पुलिस ने कांग्रेस नेता जतिन वर्मा को ऑक्सीमीटर की कालाबाजारी के मामले में पकड़ा था और उस पर रासुका की कार्रवाई की थी. उसी रासुका की कार्रवाई को चैलेंज करते हुए, एक याचिका इंदौर हाईकोर्ट में लगाई गई थी, याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रविंद्र छाबड़ा ने पैरवी की और पैरवी के दौरान विभिन्न तरह के तर्क भी कोर्ट के समक्ष रखे, अधर रविंद्र छाबड़ा के तर्कों से सहमत होते हुए कोर्ट ने कांग्रेस नेता इस जतिन वर्मा पर की गई रासुका की कार्रवाई को निरस्त कर दिया. साथ ही विभिन्न तरह के तर्क भी दिए, वहीं याचिका के दौरान कोर्ट के समक्ष तीन तरह के तार का वरिष्ठ अधिवक्ता रवि छाबड़ा ने रखे, पहला यह कि कलेक्टर के समक्ष अभ्यावेदन का अधिकार है इसके बारे में जनाकारी नहीं दी गई, दूसरा तर्क यतींद्र वर्मा जेल में बंद थे, तो जेल में बंद आरोपी पर रासुका करने की क्या आवश्यकता पड़ी. ऐसे कोई तथ्य आदेश में नहीं लिखे, वहीं तीसरा तर्क यह था कि रासुका के तहत विभिन्न तरह की जनाकारी केंद्र सरकार और राज्य सरकार को देने होती है, लेकिन उस जनाकारी में इन्हें भगौड़ा घोषित किया गया है, लेकिन इस दौरान आरोपी जेल में बंद था जिसके चलते गलत जनाकारी दी गई, जिसको देखते हुए कोर्ट ने तीनों तर्कों को देखते हुए रासुका की करवाई निरस्त कर दी.

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वहीं कोर्ट में इस याचिका के साथ एक अन्य याचिका पर भी कोर्ट में सुनवाई हुई, सुनवाई के बाद कोर्ट ने कलेक्टरों को यह आदेश दिया है कि वह जिस भी आरोपियों पर रासुका की कार्रवाई करें, उन आरोपियों पर रासुका की कार्रवाई किन कारणों के चलते की जा रही है, इसके बारे में उल्लेख करें.

Last Updated : Jun 25, 2021, 7:02 AM IST

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