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मंत्री का दौरा खत्म, मरीज का निकला दम: गेट पर ही 3 घंटे तक तड़पता रहा मरीज - सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के गेट पर मरीज की मौत

इंदौर के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एक मरीज ने गेट पर ही दम तोड़ दिया. मरीज को दूसरे अस्पताल से यहां शिफ्ट करना था. वो 3 घंटे तक एंबुलेंस में ही पड़ा रहा, अस्पताल ने उसकी सुध नहीं ली. एंबुलेंस में ICU सपोर्ट सिस्टम नहीं होने से उसे ऑक्सीजन नहीं मिली. कुछ ही घंटों पहले प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट इसी अस्पताल का दौरा करके गए थे.

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अस्पताल के गेट पर निकला दम

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Published : Apr 20, 2021, 4:24 PM IST

इंदौर। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में मरीजों को बढ़िया इलाज मिल रहा है. किसी चीज की कोई कमी नहीं है. ये दावा किया था अस्पताल का दौरा करने आए प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ने . मंत्री तो बोल कर चले गए. इसके कुछ ही घंटों बाद उसी अस्पताल के गेट पर एक मरीज की तड़प तड़पकर मौत हो गई. अस्पताल ने 3 घंटे तक मरीज को भर्ती ही नहीं किया, क्योंकि अस्पताल में बेड ही खाली नहीं था. अगर ये प्रभारी मंत्री को पता चलेगा, तो शायद वे भी अपने दावों पर शर्मिन्दा हो जाएं.

मंत्री के झूठे वादे! सब ठीक है, तो अस्पताल के गेट पर मरीज की मौत क्यों ?

मंत्री के दावे झूठे! गेट पर निकला मरीज का दम

इंदौर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, जिसके बारे में कुछ घंटों पर प्रभारी मंत्री बड़े बड़े दावे करके गए थे. उन्होंने कहा था कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी नहीं है, बेड भी पर्याप्त हैं, मरीजों को बढ़िया इलाज मिल रहा है. लेकिन कुछ ही घंटों बाद एक मरीज की मौत ने प्रभारी मंत्री के दावों की पोल खोल दी. बेड नहीं मिलने से एक मरीज ने अस्पताल के गेट पर तड़प तड़पकर जान दे दी.

'भाई 3 घंटे तक अस्पताल के गेट पर एंबुलेंस में तड़पता रहा, अस्पताल ने ध्यान ही नहीं दिया'

बेड नहीं था, भर्ती नहीं किया...तड़प-तड़पकर निकल गई जान

सुबह 11 बजे एक मरीज यहां आया था. उसे टाइफाइड था.पहले वो गौरी नगर में पीसी मेमोरियल अस्पताल में भर्ती था. उसकी हालत बिगड़ रही थी. पीसी मेमोरियल में ICU नहीं था, इसलिए उसे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में शिफ्ट करना था. यहां के डॉक्टर्स से बात भी हो गई थी. 11 बजे मरीज को एंबुलेंस में यहां लाया गया, लेकिन 2:30 बजे तक उसे भर्ती नहीं किया गया, वो एंबुलेंस में ही रहा. कारण बताया, कि कोई बेड खाली नहीं है.मरीज के परिजन बार बार गुहार लगाते रहे कि वो मर जाएगा उसे भर्ती कर लो, लेकिन अस्पताल में पीड़ित की किसी ने नहीं सुनी. एंबुलेंस में ICU सपोर्ट सिस्टम नहीं था, ऑक्सीजन भी नहीं थी. करीब 3 बजे दो नर्सें आईं, उन्होंने एंबुलेंस में मरीज को देखा. लेकिन तब तक मरीज की मौत हो चुकी थी.

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कोई सच क्यों नहीं बता रहा ?

मरीज की मौत पर अस्पताल प्रबंधन कुछ भी नहीं बोल रहा है. वो फोन पर भी जवाब देने को तैयार नहीं है. दुख की बात ये है कि ऐसी घटनाएं कई अस्पतालों में देखने को मिल रही हैं.कई जगहों पर मरीजों के परिजन अस्पतालों पर झल्ला रहे हैं. इसका क्या मतलब निकाला जाए.

  1. क्या कुछ घंटे पहले यहां आए प्रभारी मंत्री झूठ बोल रहे थे, कि अस्पताल में पूरी व्यवस्था है. मरीजों को उचित इलाज मिल रहा है.
  2. सरकार के इंतजामों की पोल ना खुले, क्या इसलिए प्रभारी मंत्री झूठे दावे कर गए.
  3. क्या अस्पतालों में हालात इतने बिगड़ गए हैं, कि मरीजों की कई घंटों तक पूछ परख ही नहीं होती.
  4. क्या कोरोना से अस्पतालों का पूरा सिस्टम चरमरा गया है. अस्पतालों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं.
  5. क्या सरकार अब भी हकीकत से मुंह चुराती रहेगी. कोरोना से अस्पतालों की बिगड़ी हालत को वो कब तक छिपाएगी.
  6. झूठ बोलकर अपनी नाकामी छिपाने से अच्छा क्या ये नहीं हो, कि सरकार व्यवस्थाओं को दुरुस्त करे.

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