इंदौर।न्यायालय के नाम पर फर्जी आदेश के जरिए करोड़ों रुपये की वसूली किए जाने का मामला सामने आया है. मामले को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सहकारी संस्था को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है. पूरा मामला पलासिया क्षेत्र के एक बेशकीमती प्लाट का हैयाचिका के माध्यम से यह आरोप है कि सहकारी संस्था में कई लोगों के नाम पर धोखाधड़ी हो चुकी है. (MP High Court bench Indore)
प्लाट पर कब्जा करने का प्रयास:पूरा मामला पलासिया क्षेत्र के एक बेशकीमती प्लाट का है. इस प्लाट में याचिकाकर्ता जहांगीर का मालिकाना हक बताया गया है. आरोप है कि सहकारी संस्था के पदाधिकारियों ने फर्जी आदेश तैयार कर प्लाट पर कब्जा करने का प्रयास किया. इस पर याचिकाकर्ता ने वकील की राय पर याचिका दायर की. याचिका में बताया गया कि प्लाट जहांगीर की चचेरी बहन नरगिस मेहता और जोरू मदान के नाम पर था. दोनों का कोई वारिस नहीं था. इनकी मौत के बाद उच्च न्यायालय ने 2015 में जहांगीर को संपत्ति का वारिस घोषित कर दिया था.
कांग्रेस MLA संजय शुक्ला से कोर्ट ने मांगा जवाब, 2000 करोड़ की जमीन की हेराफेरी के आरोप
फर्जी पेपर किया तैयार:याचिकाकर्ता के वकील के मुताबिक प्लाट पर कब्जा करने की नियत से फर्जी पेपर तैयार किया गया. सहकारी संस्था के अध्यक्ष दीपक पवार ने नरगिस मेहता और जोरू मदान को संस्था का ऋणी बता कर वसूली निकाली. जबकि, ये कभी द रियल नायक सहकारी संस्था (The real nayak sahkari sanstha indore) के सदस्य नहीं थी. ना ही दोनों बहनों ने संस्था से कोई लोन लिया है.
ऋणी होने का दावा:संस्था ने दोनों बहनों को 2 करोड़ 48 लाख रुपये का ऋणी होने का दावा करते हुए ऋण की वसूली का पेपर तैयार किया. जब इस बात की जानकारी जहांगीर मेहता को लगी तो इन्होंने जिला न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने पेपर निरस्त कर दिया. इसके बाद संस्था ने 12 जून 2012 को 24 करोड़ 80 लाख की वसूली निकालते हुए एक और पेपर तैयार किया.
स्कूल फीस मामला: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जारी किया नोटिस
हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब:याचिकाकर्ता ने सहकारिता ट्रिब्यूनल के इस पेपर को खारिज करने के लिए गुहार लगाई. इसे खारिज कर बाद में 27 करोड़ रुपये की वसूली निकाल दी और उसका भी पेपर तैयार कर लिया. सहकारी संस्था की बार-बार की लोन वसूली को लेकर जहांगीर मेहता ने अपने वकील की मदद से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की और मामले की सीबीआई (CBI) जांच की मांग की. कोर्ट ने (indore high court) याचिकाकर्ता के पक्ष को सुनकर सम्बन्धित लोगों को नोटिस जारी करने के साथ शासन को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.