इंदौर। देशभर में एक तरफ जहां तेजी से दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है, वहीं दुर्घटना होने पर प्राथमिक उपचार के लिए वाहनों में उपलब्ध रहने वाली फर्स्ट एड किट खानापूर्ति बनकर रह गई है, यह स्थिति तब है जब मोटर व्हीकल एक्ट में हर यात्री वाहन में फर्स्ट एड बॉक्स का रहना जरूरी किया गया है.
अधिकांश बसों में फर्स्ट एड बॉक्स नहीं, जानिए क्यों है जरुरी ? - वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स अपडेट नहीं
दरअसल प्रदेश भर में सड़कों पर दौड़ रहे तमाम यात्री वाहनों और निजी से लेकर स्कूल बसों में फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था तो है, लेकिन अधिकांश वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स अपडेट नहीं है, इन हालातों में यदि कोई दुर्घटना होती है तो मौके पर यात्रियों को प्राथमिक उपचार देना संभव नहीं हो पाता, इतना ही नहीं हर वाहन में फर्स्ट एड बॉक्स की जरूरी व्यवस्था के बावजूद ना तो बस ऑपरेटर इसे लेकर गंभीर रहते हैं और ना ही परिवहन विभाग को इसकी परवाह होती है
- फर्स्ट एड बॉक्स के बिना वाहन चालकों को नहीं मिलती परमिट
इन हालातों में नए वाहन में पहली बार फर्स्ट एड बॉक्स तो दिखता है, लेकिन अधिकांश मामलों में उसे अनुपयोगी मानकर भुला दिया जाता है, यह बात और है कि परिवहन विभाग के अधिकारी फर्स्ट एड बॉक्स के बिना परमिट और अन्य अनुमतियों पर समय-समय पर रोक लगाने के दावे कर रहे हैं.
https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10406674_n.jpg - क्या होता है फर्स्ट एड बॉक्स ?
फर्स्ट एड बॉक्स एक ऐसी किट होती है जिसमें आपातकालीन स्थिति में उपयोग के लिए दवाएं उपकरण और अपनी सुरक्षा करने वाला सामान होता है, फर्स्ट एड बॉक्स के जरिए लोगों को दुर्घटना से नहीं बचाया जा सकता है, लेकिन दुर्घटना होने पर उनकी चिकित्सकीय मदद जरूर की जा सकती है फर्स्ट एड बॉक्स के जरिए अधिकांश दुर्घटनाओं में घायलों को प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराने पर उन्हें गंभीर स्थिति में जाने से बचाया जा सकता है, अत्यधिक रक्तस्त्राव अथवा चोट की स्थिति में फर्स्ट एड बॉक्स के उपयोग से रक्त स्त्राव रोकते हुए, संबंधित घायल को राहत पहुंचाई जा सकती है, इसके अलावा इंफेक्शन आदि से बचाने के लिए भी यह बॉक्स उपयोगी साबित होता है, फर्स्ट एड बॉक्स में पट्टियां दवाएं और सामग्री होती है, जो जरूरत के मुताबिक इस दौरान उपयोग की जाती है.
- कमर्शियल यात्री बसों में जरूरी
इंदौर जिला परिवहन कार्यालय के मुताबिक कमर्शियल यात्री वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स अति आवश्यक किया गया है आईटीओ जीतेंद्र रघुवंशी के अनुसार सभी बसों में फर्स्ट एड बॉक्स अथवा मेडिकल किट रखना जरूरी है, बसों के अलावा अब चार पहिया वाहनों में भी यह किट ऑटोमोबाइल कंपनियों द्वारा दी जा रही है, इसके अलावा जिला परिवहन कार्यालय इंदौर द्वारा सिर्फ उन बसों का ही परमिट रिन्यू किया जाता है, जिनमें फर्स्ट एड बॉक्स की शर्तों का पालन किया जाता है इसके अलावा वाहनों के फिटनेस में भी यही शर्त लागू है.
- स्कूल बसों में भी मेडिकल किट जरूरी
इंदौर में दिल्ली पब्लिक स्कूल बस हादसे के बाद सभी स्कूल बसों में फर्स्ट एड किट रखना जरूरी किया गया है, इस किट को व्यवस्थित रखने की जिम्मेदारी वाहन चालक अथवा वाहन स्वामी की है, बसों में मेडिकल किट नहीं होने की स्थिति में परिवहन कार्यालय के अधिकारी संबंधित बस पर जुर्माना लगाते हुए उसका अधिग्रहण भी कर सकते हैं, इसके अलावा स्कूल बसों के मामले में बच्चों के परिजन भी मेडिकल किट अथवा फर्स्ट एड बॉक्स की जांच के लिए स्वतंत्र हैं.