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Sirpur Wetland दो साल में विकसित होगी इंदौर की रामसर साइट, जल्द शुरू होगा युद्ध स्तर पर काम - इंदौर की रामसर साइट

इंदौर की सिरपुर झील को वर्षों के इंतजार के बाद अंतर्राष्ट्रीय रामसर साइट का दर्जा मिल गया, लेकिन इसके विकास का काम अभी नहीं शुरू हो सका है. पर्यावरणविद भालू मोंडे कहते हैं अगर दी गई निश्चित समय सीमा में Sirpur Wetland का विकास नहीं हुआ, तो रामसर साइट का दर्जा छिन सकता है. Indore Ramsar site, Environmentalist Bhalu Monde, Indore Sirpur Wetland

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Sirpur Wetland

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Published : Aug 26, 2022, 6:53 PM IST

इंदौर। इंदौर की रामसर साइट सिरपुर झील को विकसित करने के प्रयास शुरू हो गए हैं. झील के संरक्षण में कई दशकों से जुटे पर्यावरणविद भालू मोंडे ने बताया कि अगले 2 साल में इस साइट को संवारने के प्रयास युद्ध स्तर पर होंगे. यदि इसे विकसित नहीं किया गया तो रामसर साइट का दर्जा छिन भी सकता है.

दो साल में विकसित होगी इंदौर की रामसर साइट

सिरपुर झील प्रदेश की तीसरी रामसर झील:गौरतलब है भालू मोंडे कई दशकों से सिरपुर झील को बचाने के प्रयास कर रहे थे. इनकी अथक मेहनत और जागरूकता के फल स्वरूप इंदौर की झील को प्रदेश की तीसरी रामसर झील का गौरव प्राप्त हुआ है. अब इस मामले में राज्य सरकार ने भी पहल की है जिसके जरिए झील के संरक्षण और उसके पर्यावरण आधारित विकास को लेकर प्रयास जल्द ही शुरू होने के आसार हैं.

इंदौर की सिरपुर झील

वैज्ञानिकों की सहमति के बाद दिया जाता है दर्जा: इंदौर के सिरपुर झील को रामसर साइट घोषित किए जाने के पहले, इंदौर-भोपाल समेत मध्य प्रदेश के तमाम वैज्ञानिकों ने इसके आठ बिंदुओं पर पड़ताल की थी. इसमें फ्लोरल बायोडायवर्सिटी, उसका उपयोग, झील का पर्यावरण में योगदान, झील की साइंटिफिक रिसर्च और यहां कितने प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं. इसी तरह यहां कितने प्रकार की मछलियां पैदा होती हैं. 8 बिंदुओं पर आधारित यह रिपोर्ट पहले राज्य के वैज्ञानिक, भारत सरकार के मार्फत स्विट्जरलैंड स्थित रामसर मुख्यालय पर भेजती जाती है. इसके बाद स्विट्जरलैंड के अलावा अन्य देशों के वैज्ञानिक तमाम बिंदुओं की बारीकी से जांच करते हैं. फिर तमाम वैज्ञानिकों की सहमति के बाद किसी साइट को यह दर्जा दिया जाता है.

पांच और भारतीय स्थल रामसर सूची में शामिल, 75 स्पॉट्स के लिए टैग हासिल करने का लक्ष्य

26 जुलाई को पांच और भारतीय स्थल रामसर सूची में शामिल:केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय भूपेंद्र यादव ने बता कि रामसर संधि के तहत पांच और भारतीय स्थलों को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता दी गई है, जिससे देश में ऐसे स्थलों की संख्या 54 हो गई है. मंत्रालय ने कहा कि जिन पांच नए स्थलों को रामसर सूची में शामिल किया गया है. उनमें तमिलनाडु के तीन और मिजोरम तथा मध्य प्रदेश का एक-एक स्थल शामिल है. रामसर सूची का उद्देश्य आर्द्रभूमि का एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क विकसित करना और इसे बनाए रखना है, जो वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण और मानव जीवन को बनाए रखने के लिए उनके पारिस्थितिकी तंत्र घटकों, प्रक्रियाओं और लाभों के रखरखाव के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं.

मध्य प्रदेश का साख्य सागर रामसर सूची में शामिल

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट किया कि " प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पर्यावरण रक्षा और संरक्षण पर जो जोर दिया है उससे इस दिशा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है कि भारत अपनी आर्द्रभूमि का ध्यान किस तरह रखता है. यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पांच और भारतीय आर्द्रभूमियों को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में रामसर संबंधी मान्यता मिली है."

हाल में मध्य प्रदेश का साख्य सागर रामसर सूची में शामिल :केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादवने बताया कि तमिलनाडु के करिकीली पक्षी अभयारण्य, पल्लीकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट और पिचवरम मैंग्रोव, मध्य प्रदेश के साख्य सागर तथा मिजोरम की पाला आर्द्रभूमि को इस प्रतिष्ठित सूची में जगह मिली है. रामसर संधि आर्द्रभूमि के संरक्षण और बुद्धिमानी से उसके उपयोग से संबंधित अंतरराष्ट्रीय संधि है. इसका नाम कैस्पियन सागर स्थित ईरानी शहर रामसर के नाम पर रखा गया है, जहां दो फरवरी, 1971 को संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे. (Indore Sirpur Wetland)(Indore Ramsar site)(Sirpur Wetland) (Environmentalist Bhalu Monde)

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